पीबीएम से मिली जानकारी के अनुसार हेतराम की 12 वर्षीय पुत्री प्रियंका 21 जून को दोपहर में भर्ती हुई, वह श्रीगंगानगर से रेफर होकर आई थी। हनुमानगढ़ के हुसैन खान की सात वर्षीय बेटी माफिया २१ जून को दोपहर सवा दो बजे भर्ती हुई और 22 जून की शाम पांच बजे मौत हो गई। चूरू के बजरंग की चार वर्षीय पुत्री गुनगुन को 15 जून को भर्ती कराया गया था, उसकी 23 जून को दोपहर साढ़े 12 बजे मौत हो गई। इसी तरह चूरू के गोपाल शर्मा का सात वर्षीय बेटा नारायण 21 जून को दोपहर पौने एक बजे भर्ती हुआ था और 23 जून की सुबह साढ़े सात बजे मौत हो गई।
जिले में सब सामान्य शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. घनश्याम सेंगर ने बताया कि जिले में चमकी बुखार जैसा कोई मामला अभी तक सामने नहीं आया है। पीबीएम के शिशु अस्पताल में जिन चार बच्चों की मौत हुई, उनमें से एक बच्चा दिमागी बुखार, दूसरा लिवर फैल्योर, तीसरा ब्लड कैंसर, चौथा गंभीर लकवे से पीडि़त था। बिहार जैसी बीमारी का यहां कोई खतरा नहीं है। आमजन घबराएं नहीं, बीमारी के प्रति सावचेत रहें। ये बच्चे संभाग के विभिन्न जिलों से रेफर होकर आए थे, जिन्हें सघन चिकित्सा इकाई में रखा गया था।
इलाज में लापरवाही नहीं जिन बच्चों की मौत हुई है, वे गंभीर बीमारियों से ग्रस्त थे। शिशु अस्पताल में वे गंभीर स्थिति में आए थे। उनके इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई थी। बच्चों की मौत का दुख है।
डॉ. पीके बैरवाल, अधीक्षक, पीबीएम अस्पताल