जन्माष्टमी पर्व 11 व 12 अगस्त को मनाया जाएगा। घरों में महिलाएं और युवतियां भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप के लिए चटकीले रंगों के वस्त्र और कलात्मक रूप से झूले तैयार कर रही है। मावा, मैदा, आटा, गोंद, चीनी, घी, बादाम, केशर आदि से विभिन्न प्रकार के पकवान बनने शुरू हो गए है। जन्माष्टमी के दिन इनका भोग अर्पित किया जाएगा।
सजने लगी जन्माष्टमी
जन्माष्टमी में भगवान कृष्ण के जन्म स्थल कंस की जेल, कृष्ण की बाल लीलाए, नदी, पहाड़, गुफा, झरना, रेल, आदि को प्रमुखता से तैयार किया जाता है। वहीं लकड़ी और मिट्टी से बने विभिन्न प्रकार के खिलौनों को कलात्मक रूप से सजाया जाता है। बिजली और सेल से चलने वाले खिलौने भी सजाए जाते है। जन्माष्टमी कक्ष को रंग बिरंगी रोशनियों, विभिन्न प्रकार के कागज, कपड़ो आदि से सजाया जाता है। घरों में बच्चों से बुजुर्ग तक जन्माष्टमी सजाने में जुट गए है। इसको सजाने में मिट्टी, पत्थर के टुकड़े, कागज, गत्ता, लकड़ी का बुरादा, विभिन्न तरह के रंग आदि का उपयोग किया जा रहा है। जन्माष्टमी में समसामयिक घटनाओं, विषयों से संबंधित प्रतीकात्मक फोटो, अनुकृति आदि भी बनाई जाती है।
दुकानों पर खरीदारी शुरू
जन्माष्टमी को लेकर शहर के बाजारों में रौनक बढ़ गई है। भगवान कृष्ण के वस्त्र, आभूषण, झूला, खिलौना आदि की दुकानों पर खरीदारी शुरू हो गई है। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के दिन बड़ी मात्रा में होने वाली मिठाईयों की बिक्री को देखते हुए मिठाईयों के कारखानों में मिठाईयां बनने का सिलसिला शुरू हो गया है।