प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत युवाओं को मुर्गी पालन का ३० दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बाद वे अपने खेत, फार्म व आवास पर भी अपना स्वरोजगार शुरू कर सकता है। पहले से ही जो व्यक्ति पशुपालन कर रहा है, या कोई खेती कर रहा है, तो उसके साथ यह व्यवसाय कर सकता है। विश्वविद्यालय में इस योजना के तहत २० सीट निर्धारित है। इसके लिए दो से चार दिनों का प्रशिक्षण भी चलता है।
देशी नस्ल की मुर्गियां
कुक्कुट शाला में देशी व विदेशी नस्ल की मुर्गियां है। इसमें मुख्य रूप से कड़कनाथ, मेवाड़ी, प्रतापधन, एशील सरीखी स्वदेशी नस्लों के साथ ही ब्लेक आेस्ट्रालोग, नेकेडनेक,धिनिया फाउल, टर्की, वाइट लेगौन सहित कई नस्ल की मुर्गियां है। जिनके अंडों की बिक्री से भी अच्छी कमाई की जा सकती है। देशी मुर्गियां सालाना १०० से १२० अंडे देती है।
बत्तख से आय का जरिया
कोई भी काश्तकार, पशुपालक तथा युवा बत्तख पालन को भी आय का जरिया बना सकता है। सफेद बत्तख वर्ष मंे १५० से १८० अंडे देती है। इसका वजन दो से ढाई किलो होता है। इस कारण इसका पालन आसानी से किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके अंडे में तरल पदार्थ ज्यादा होता है। वहीं भूरे रंग की बत्तखों के अंडे अलग दरों पर बिकते है। प्रशिक्षण लेकर यह व्यवयास किया जा सकता है।
कोई भी काश्तकार, पशुपालक तथा युवा बत्तख पालन को भी आय का जरिया बना सकता है। सफेद बत्तख वर्ष मंे १५० से १८० अंडे देती है। इसका वजन दो से ढाई किलो होता है। इस कारण इसका पालन आसानी से किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके अंडे में तरल पदार्थ ज्यादा होता है। वहीं भूरे रंग की बत्तखों के अंडे अलग दरों पर बिकते है। प्रशिक्षण लेकर यह व्यवयास किया जा सकता है।
जापानी बटेर की मांग
विश्वविद्यालय की कुक्कट शाला में जापानी बटेर व खरगोश पालन भी होता है। जापानी बटेर दो से ढाई सौ ग्राम का होता है। यह छह से सात सप्ताह अंडे देता है। एक साल में करीब २८० अंडे देता है। इसके मांस की बिक्री होती है।
विश्वविद्यालय की कुक्कट शाला में जापानी बटेर व खरगोश पालन भी होता है। जापानी बटेर दो से ढाई सौ ग्राम का होता है। यह छह से सात सप्ताह अंडे देता है। एक साल में करीब २८० अंडे देता है। इसके मांस की बिक्री होती है।
कर सकते है स्वरोजगार
वेटरनरी विश्वविद्यालय की कुक्कटशाला में युवाओं को लिए स्वरोजगार के अवसर है। इसमें कई तरह के व्यवसाय किए जा सकते है। बेरोजगार युवाओं के लिए योजना कारगर साबित हो रही है। आने वाले दिनों में जैविक कुक्कटशाला प्रस्तावित है।
डॉ.विष्णु शर्मा, कुलपति, राजुवास
वेटरनरी विश्वविद्यालय की कुक्कटशाला में युवाओं को लिए स्वरोजगार के अवसर है। इसमें कई तरह के व्यवसाय किए जा सकते है। बेरोजगार युवाओं के लिए योजना कारगर साबित हो रही है। आने वाले दिनों में जैविक कुक्कटशाला प्रस्तावित है।
डॉ.विष्णु शर्मा, कुलपति, राजुवास