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बीकानेर

7 लोगों की हत्या के आरोप में 25 साल से सजा काट रहा मुल्जिम, अब किया वारदात के समय नाबालिग होने का दावा

एक मुल्जिम पिछले 25 साल से 7 लोगों की हत्या के आरोप में सजा काट रहा है। इस मुल्जिम ने अब वारदात के समय खुद के नाबालिग होने का दावा किया है।
 

बीकानेरJul 19, 2019 / 03:17 pm

Nidhi Mishra

Prisoner Claims To Be Minor At Crime Of Killing 7 People

7 लोगों की हत्या के आरोप में 25 साल से सजा काट रहा मुल्जिम, अब किया वारदात के समय नाबालिग होने का दावा

जयप्रकाश गहलोत/ बीकानेर। सात लोगों की हत्या के मामले में 25 साल से जेल में सजा काट रहे मुल्जिम जालबसर गांव निवासी नारायणराम चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के एक स्कूल से जारी टीसी के आधार पर वारदात के समय नाबालिग होने का दावा किया है। महाराष्ट्र की पुणे जेल में बंद इस मुल्जिम को कोर्ट ने फांसी की सजा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण महाराष्ट्र हाईकोर्ट ( maharashtra high court ) को रिमांड किया है। साथ ही निर्देश दिए कि नारायण के नाबालिग होने संबंधी तथ्यों के आधार पर प्रकरण में दोबारा निर्णय किया जाए।

नारायणराम को पुणे पुलिस ने 26 अगस्त, 1994 को पुणे की शीला विहार कॉलोनी में एक ही परिवार के दो बच्चों सहित सात जनों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2000 में नारायण को हत्या का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई।

पुणे पुलिस ने 1994 में अपनी रिपोर्ट में नारायण की उम्र 20 साल बताई थी। अब 25 साल जेल में रहने के बाद नारायण ने कोर्ट के समक्ष दावा किया कि वारदात के समय वह 14 साल का था। पुलिस ने ज्यादा उम्र बताकर उसे बालिग दर्शा दिया। नारायणराम ने 2013 में भी कोर्ट में याचिका दायर की लेकिन वह खारिज कर दी गई थी। कुछ समय पहले रिव्यू पिटिशन दायर की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
Prisoner Claims To Be Minor At Crime Of Killing 7 People
निराणाराम और नारायण राम
इस मामले में नारायण राम के छोटे भाई मुखराम ने राउप्रावि जालबसर से जारी टीसी को प्रस्तुत किया है। इसमें नारायणराम का नाम निराणाराम लिखा हुआ है। उसने स्कूल में एक अप्रेल, 1986 को प्रवेश लिया और 15 मई, 1989 तक पढ़ाई की। नारायणराम को अब 39 साल का होने के पक्ष में स्कूल से जारी इसी टीसी को प्रस्तुत करते हुए कोर्ट में वारदात के समय नारायण के नाबालिग होने का दावा किया है। उसने 15 अगस्त, 2001 को स्कूल से प्रमाण पत्र जारी कराया।

नारायण के पिता चेतनराम चौधरी की 10 मई, 2019 को मौत हो गई थी। इस पर नारायणराम आपात पैरोल पर 21 मई को सात दिन के लिए गांव आया और 26 मई को वापस चला गया।

न्यायालय पर पूरा भरोसा
नारायणराम का असली नाम निराणाराम है। निराणाराम वारदात के समय नाबालिग था, इसलिए पुणे पुलिस ने उसे बालिग बताकर नारायणराम से केस दर्ज किया। 25 साल बाद ही सच्चाई सामने आ रही है। न्यायालय पर पूरा भरोसा है, सच्चाई की जीत होगी।
-मुखराम, नारायणराम का छोटा भाई

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