सरकारी स्कूलों में भौतिक संसाधनों के अभाव के बावजूद परीक्षा परिणाम सुधरने का असर है कि अब सरकारी स्कूलों में नामांकन 99.50 लाख को भी पार कर गया है। निशुल्क पाठ्य पुस्तकें, छात्रवृतियों, छात्राओं को साइकिल, होनहार विद्यार्थियों को लैपटॉप, पोषाहार, दूध वितरण जैसे कार्य सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ा रहे हैं। महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूलों में तो प्रवेश के लिए लाइनें लगने लगी हैं।
जिम्मेदारी तय करने का भी असर सरकारी स्कूलों में भी अब निजी स्कूलों की तर्ज पर प्री बोर्ड परीक्षाएं होने लगी हैं। कम परीक्षा परिणाम रहने पर संबंधित शिक्षक पर विभागीय कार्यवाही से जिम्मेदारी तय हुई है। बोर्ड परीक्षाओं में 70 फीसदी से कम परिणाम देने वाले शिक्षकों को चार्जशीट तक दी जाती है। ऐसे में अधिकांश सरकारी स्कूलों का परिणाम भी 80 फीसदी से ऊपर रहने लगा है।
परिणामों में आगे सरकारी स्कूल वर्ष 2022 के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं में सरकारी स्कूल के बच्चों ने 98 फीसदी से भी ज्यादा अंक लाकर अपनी श्रेष्ठता को साबित किया है। सीनियर सैकेंडरी विज्ञान में राजकीय चौपड़ा उच्च माध्यमिक स्कूल के छात्र कुलदीप सुथार ने 97.4 फीसदी, कला वर्ग में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय खारीचारणान के मनीष ने 94%, हुकमचंद सुथार तथा ममता कुम्हार ने 92%, तथा रेखा कुमावत ने 91.60% अंक प्राप्त किए हैं।
दसवीं बोर्ड में राजकीय रावतम्ल बोथरा गंगाशहर की छात्रा भूमि बोथरा ने तो 98.5% तथा बालिका लेडी एल्गिन की आयशा राठौड़ ने 97.5% अंक लाकर श्रेष्ठता को साबित किया है। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जस्सूसर गेट के छात्र विनोद विश्नोई 94.33%, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय खारी चारणान के छात्र दिनेश कुमावत ने 93.33%, राजकीय माध्यमिक विद्यालय पवनपुरी दक्षिण विस्तार के ओजस्वनी चतुर्वेदी ने 91 फीसदी अंक प्राप्त किए हैं। बेहतर परिणामों की फेहरिस्त लम्बी है, ये तो कुछ उदाहरण मात्र हैं।