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राजस्थान की बीकानेर सीट पर बीजेपी vs कांग्रेस के साथ दो मौसेरे भाइयों में भी है मुकाबला, चुनाव से एक दिन पहले जानें सियासी गणित

locationबीकानेरPublished: May 05, 2019 04:15:26 pm

Submitted by:

rohit sharma

राजस्थान की बीकानेर सीट पर बीजेपी vs कांग्रेस के साथ दो मौसेरे भाइयों में भी है मुकाबला, चुनाव से एक दिन पहले जानें सियासी गणित

bjp vs congress

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बीकानेर।

राजस्थान में दूसरे चरण के लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Election 2019 ) को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अब सोमवार को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान होगा। राजस्थान की शेष बची 12 सीटों पर 6 मई को 2 करोड़ 30 लाख 68 हजार 868 मतदाता ( Voters in Rajasthan ) अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।
बीकानेर संसदीय क्षेत्र ( bikaner lok sabha constituency ) की बात करें तो यह लोकसभा क्षेत्र भी राज्य की अन्य चर्चित सीटों में से एक रहा है। यहां भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) ने अर्जुन राम मेघवाल ( Arjun Ram Meghwal ) को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ( Congress ) ने मदन गोपाल मेघवाल ( Madan Gopal Meghwal ) को मैदान में उतारा है।
बीजेपी Vs कांग्रेस के साथ दो मौसेरे भाइयों में भी है मुकाबला

इस सीट की खास बात ये है कि यहां बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशियों के साथ-साथ दो भाइयों का भी मुकाबला है। भाजपा के अर्जुन राम मेघवाल और कांग्रेस प्रत्याशी मदन गोपाल मेघवाल मौसेरे भाई हैं और दोनों ही रिटायर्ड आईएएस हैं। मेघवाल Vs मेघवाल होने की वजह से यहां मुकाबला रोचक हो गया है।
बीकानेर लोकसभा का राजनीतिक इतिहास ( History of Bikaner Lok Sabha Seat )

– 1952 से 16वीं लोकसभा तक कुल 16 बार बीकानेर लोकसभा क्षेत्र से सांसदों का निर्वाचन हुआ। अब तक हुए लोकसभा चुनावों में 5 बार कांग्रेस, चार बार भाजपा, 5 बार निर्दलीय और एक-एक बार जनता पार्टी व माकपा के प्रत्याशी जीते हैं। पहले पांच चुनाव में निर्दलीय बीकानेर रियासत के पूर्व महाराजा करणी सिंह सांसद रहे।
– 1952 से 1977 तक के पांच कार्यकाल में जनता ने पूर्व महाराजा पर विश्वास जताया। छठी लोकसभा के लिए 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी के हरीराम मक्कासर सांसद निर्वाचित हुए। इसके बाद 1980 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने खाता खोला और चौधरी मनफूल सिंह जीते। वे लगातार दो बार सांसद रहे।
– 1984 से 88 के कार्यकाल में मनफूल सिंह सांसद रहने के बाद 1989 में हुए नौंवी लोकसभा के चुनाव में सीपीआई के श्योपतसिंह मक्कासर ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली। लेकिन अगले ही चुनाव 1991 में कांग्रेस के चौधरी मनफूल सिंह फिर जीते और सांसद बने।
– भाजपा ने यहां अपना खाता 1996 के चुनाव में खोला। देवीसिंह भाटी के पुत्र महेन्द्र सिंह भाटी चुनाव जीते। इसके बाद कांग्रेस फिर काबिज हो गई और बलराम जाखड़ और रामेश्वर डूडी सांसद रहे।
भाजपा की हैट्रिक, लगातार तीन बार बीजेपी प्रत्याशी ने दर्ज की जीत

बात चौदहवीं लोकसभा के साल 2004 में हुए चुनावों की है। कांग्रेस के दबदबे वाली इस सीट पर फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र को भाजपा ने मैदान में उतारा और वो चुनाव जीत गए। इसके अगले चुनाव 2009 से पहले परिसीमिन होने और सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई। भाजपा ने ब्यूरोक्रेट्स अर्जुनराम मेघवाल को चुनाव मैदान में उतारा और वह जीत गए। फिर 2014 के चुनाव में अर्जुनराम दूसरी बार चुनाव जीते। इसी के साथ भाजपा की हैट्रिक भी लग गई। वहीं, भाजपा ने तीसरी बार फिर मौजूदा सांसद अर्जुनराम मेघवाल को उम्मीदवार बनाया है। इस बार वे जीत की तिकड़ी बनाने की कोशिश में है
क्षेत्र के मतदाताओं का गणित ( Voters in Bikaner Constituency )

बीकानेर संसदीय क्षेत्र में कुल 18 लाख 33 हजार 215 मतदाता वोट करने जा रहे हैं। इनमें 9 लाख 68 हजार 181 पुरूष तथा 8 लाख 65 हजार 34 महिला मतदाता शमिल है। ये मतदाता 6 मई को यहां के प्रत्याशी की किस्मत का फैसला करेंगे।
2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस बार बीकानेर लोकसभा क्षेत्र में 2 लाख 41 हजार 790 मतदाता अधिक शामिल हुए हैं। जिले में कुल 1829 मतदान केन्द्र स्थापित किए गए हैं।
बीकानेर की विधानसभाओं का सियासी समीकरण ( Vidhan Sabha Seats in Bikaner )

बीकानेर संसदीय सीट में 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल है जिनमें अनूपगढ़ में 2 लाख 28 हजार 264,
– खाजूवाला में 2 लाख 12 हजार 223,
– बीकानेर पश्चिम में 2 लाख 16 हजार 23,
– बीकानेर पूर्व में 2 लाख 27 हजार 839,
– कोलायत में 2 लाख 29 हजार 763,
– लूणकरनसर में 2 लाख 31 हजार 13,
– डूंगरगढ में 2 लाख 35 हजार 779 तथा नोखा विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 52 हजार 311 मतदाता है। गत विधानसभा चुनाव 2018 में इन आठ विधानसभा सीटों में से चार पर भाजपा, तीन पर कांग्रेस और एक पर माकपा का कब्जा है।

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