उन्होंने सीएमएचओ पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर डॉक्टरों को हटा रहा है। गोदारा ने कहा कि एेसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। गोदारा ने कहा कि सरकार फिलहाल पीजी एडमिशन में तीस लाख रुपए का बॉन्ड भरवाती है, पांच साल के लिए बाध्य होता है कि वह पीजी करने के बाद जनता की सेवा करेगा, लेकिन राज्य सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही। राजस्थान से अस्सी फीसदी डॉक्टर पीजी करके नौकरी छोड़ चुके हैं।
गोदारा ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में चिकित्सक बच्चों को पढ़ा ही नहीं रहे। बच्चों की हाजिरी नहीं रहती, जबकि ७५ फीसदी हाजिरी जरूरी है। उन्होंने कहा कि हालत यह हो गई है कि रेजीडेंट चिकत्सक राउण्ड लेने लगे हैं। ज्यादातर सीनियर्स डॉक्टर घर पर ही बैठे रहते हैं। एेसे चिकित्सकों को कोई पूछने वाला तक नहीं है। गोदारा ने कहा कि बीकानेर में १५० करोड़ रुपए की लागत से बने सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल को अभी तक शुरू नहीं किया गया है।
गोदारा ने बीकानेर के ट्रोमा सेन्टर में दो बजे बाद सोनोग्राफी नहीं होने, वरिष्ठ रेजीडेंट चिकित्सकों की रात को ड्यूटी लगाने, पीबीएम अस्पताल में एक ही एमआरआइ मशीन होने, ५०-५० लाख रुपए की लागत से बनी धर्मशालाओं को शुरू करने, ओंको सर्जरी की सुविधा उपलब्ध करवाने, राजमार्गों पर आवारा पशुओं को हटाने, लूणकरनसर विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्रों में उप स्वास्थ्य केन्द्र खोलने सहित विभिन्न चिकित्सा व्यवस्थाओं को सुधारने की आवाज उठाई।