इसमें बीकानेर जिले के सेवानिवृत्तों के सवा सौ करोड़ रुपए बकाया है। साथ ही कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ भी नहीं मिला है तथा प्रबंधन द्वारा एक हजार नई बसें खरीदने का दावा भी खोखला साबित हो रहा है। अभी तक नई बसें नहीं आई है और पुरानी और अवधिपार बसों से ही काम चलाया जा रहा है। सेवानिवृत्त कर्मचारियो ने नई बसें देने, ग्रेच्युटी, राजपत्रित अवकाश, साप्ताहिक विश्राम एवं वेतनमान निर्धारण सहित परिलाभों का निस्तारण कराने की मांग भी की है। सभा में विक्रम सिंह, जाहिर हुसैन, किशन ङ्क्षसह, महावीर सिंह, आसान खान, रामेश्वर सोलंकी, जगतपाल धतरवाल, रामेश्वर खीचड़ ने विचार व्यक्त किए।
पैसों के लिए चक्करघिन्नी
एसोसिएशन के हनुमंत सिंह ने रोष जताते हुए कहा कि बकाया परिलाभ के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारी चक्करघिन्नी बने हुए हैं। रोजाना बस स्टैण्ड के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें मायूस होकर ही लौटना पड़ रहा है। बकाया परिलाभ मिलने के इंतजार में तीन साल निकल गए हैं, कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
एसोसिएशन के हनुमंत सिंह ने रोष जताते हुए कहा कि बकाया परिलाभ के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारी चक्करघिन्नी बने हुए हैं। रोजाना बस स्टैण्ड के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें मायूस होकर ही लौटना पड़ रहा है। बकाया परिलाभ मिलने के इंतजार में तीन साल निकल गए हैं, कोई सुनवाई नहीं हो रही है।