इन लीलाओं का मंचन
रासलीला आयोजन से जुड़े विष्णु दत्त व्यास बताते है कि रघुनाथ महोत्सव समिति की ओर से आयोजित हो रही रासलीला में रियासतकाल से माखन लीला, बंशी लीला, महादेव लीला और बलि लीला का मंचन होता है। रासलीला में स्थानीय निवासी रासलीला के विभिन्न पात्रों कृष्ण, बलदाऊ, राधा, सखी, महादेव, शुक्राचार्य, राजा बलि, छड़ीदार, चेला, नंदी,दीवान आदि पात्रों की भूमिका निभाते है।
कई भाषाओं में है दोहे व गीत
रासलीला का मंचन दोहे, गीत और नृत्यों के माध्यम से होता है। दोहे, संवाद और गीत संस्कृत, हिन्दी, बृज और राजस्थानी में है। रासलीला के कलाकार विभिन्न भाषाओं में दोहे, संवाद और गीत होने के बाद भी हर साल प्रभावी रूप से इसका मंचन करते आ रहे है। नगाड़ा, ढोलक, हारमोनियम, छमछमा, बांसुरी और घुंघुरू की लयबद्ध संगत के बीच रासलीला का मंचन होता है। इस दौरान १५१ किलोग्राम दूध से बनी खीर का भी वितरण होता है।
ये निभा रहे भूमिका
रासलीला के मंचन में इस बार भवानी शंकर व्यास, आसू आचार्य, गणेश सारस्वत, विष्णु दत्त व्यास, शंकर बिन्नाणी, अशोक रंगा, कुशार रंगा, आनन्द रंगा, ऋतु रंगा,लौकेश उपाध्याय, रूपेश रंगा मुख्य भूमिकाएं निभा रहे है। वहीं रासलीला मंचन में सुशील बिन्नाणी, मगन लाल देरासरी, गोपाल सारस्वत, लीलाधर जोशी, मनीष स्वामी, कमल रंगा, विमल रंगा, संतोष व्यास, आनन्द व्यास, रघुनाथ देरासरी, विनोद खत्री,गिरिराज बिन्नाणी विभिन्न व्यवस्थाओं को सुचारू रूप दे रहे है।