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विद्यालयों में है छुट्टियां, पड़ी है राशन सामग्री, जरुतमंदों के आ सकती है काम

locationबीकानेरPublished: Mar 29, 2020 07:52:56 pm

Submitted by:

dinesh kumar swami

corona news, bikaner news: जरूतमंदों को राशन सामग्री मिलेगी वहीं राशन सामग्री खराब होने से भी बच जाएगी। संस्था प्रधान एवं पोषाहार प्रभारियों में स्टॉक में रखे पोषाहार को लेकर चिन्ता भी है। वर्तमान में मौसम भी प्रतिकूल असर डाल रहा है।

विद्यालयों में है छुट्टियां, पड़ी है राशन सामग्री, जरुतमंदों केआ सकता है काम

विद्यालयों में है छुट्टियां, पड़ी है राशन सामग्री, जरुतमंदों केआ सकता है काम

बीकानेर. प्रदेश की सभी सरकारी विद्यालय इन दिनों बंद है। ऐसे में किसी तरह का पोषाहार नहीं पकता। इस स्थिति में विद्यालयों व मिड डे मील देने वाली संस्थाओं के पास में बड़ी मात्रा में राशन सामग्री पड़ी है। इसमें गेहूं, चावल, दाल व अन्य सामग्री है। उसका उपयोग वर्तमान में चल रहे लॉकडाउन के बीच जरूतमंदों में वितरित कर किया जा सकता है।
इससे जरूतमंदों को राशन सामग्री मिलेगी वहीं राशन सामग्री खराब होने से भी बच जाएगी। संस्था प्रधान एवं पोषाहार प्रभारियों में स्टॉक में रखे पोषाहार को लेकर चिन्ता भी है। वर्तमान में मौसम भी प्रतिकूल असर डाल रहा है। वहीं सूत्रों की माने तो ग्रामीण क्षेत्रों की सरकारी विद्यालयों में रसद सामग्री को सुरक्षित रखने के खास संसाधन नहीं है। राज्य सरकार की योजना के तहत प्रत्येक विद्यालय के लिए मिड डे मिल के तहत पोषाहार बनाने की व्यवस्था है। शहरी क्षेत्र में अक्षय पात्र संस्थान पोषाहार वितरण करती है। गौरतलब है कि एक एक विद्यालय में करीब एक से दो क्विटल रसद हर माह के लिए आता है।

संगठनों ने दिए सुझाव

राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने पोषाहार के लिए विद्यालयों में पड़ी राशन सामग्री को जरूरत के लिहाज से वितरण करने का सुझाव दिया है। संगठन के प्रदेश मंत्री रवि आचार्य ने बताया है कि प्रदेशभर की विद्यालयों में क्विटलों की मात्रा में रसद सामग्री को सुरक्षित रखना भी चुनौती है। ऐसे में
उक्त सामग्री का उपयोग आवश्यकतानुसार सरकार को करना चाहिए ताकि सामग्री को खराब होने से बचाया जा सकता है। राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के महामंत्री श्रवण पुरोहित के अनुसार शहरी क्षेत्र में तो पोषाहार को सुरक्षित रखा जा सकता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की विद्यालयों में बड़ी मात्रा में रसद सामग्री है। इस स्थिति में पोषाहार का सबसे बेहतर उपयोग जरूरतमंदों में बांटने से हो सकता है।
कलक्टर कर सकते है निर्णय
प्रदेश के प्रत्येक जिले में कलक्टर इस संदर्भ में निर्णय कर सकते है। पूर्व में प्रशासन को इससे अवगत कराया जा चुका है। – सौरभ स्वामी, माशिक्षा निदेशक बीकानेर।

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