गुरुवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में राठौड़ ने चुटकी लेते हुए कहा कि पहली बार सरकार ने एक ऐसे ईमानदार चोर को पकड़ा है, जिसने जयपुर के स्ट्रांग रूम में रखे रीट लेवल-दो के पेपर को तो चुरा लिया लेकिन पूरी ईमानदारी दिखाते हुए रीट लेवल एक के पेपर को हाथ भी नहीं लगाया। उन्होंने कहा कि पूरे घोटाले में राजनीतिक संरक्षण की बात रखने वाले बर्खास्त बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारोली भी अब गायब हैं।
उन्होंने कहा कि इस घोटाले में कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और कोचिंग सेंटर माफियाओं की भूमिका पूरी तरह से स्पष्ट है। एसओजी ने भी शुरुआती जांच कुछ हद तक सही राह पर की परंतु सरकार से जुड़े बड़े मंत्रियों का नाम आते ही अब इस मामले की निष्पक्ष जांच संदेहास्पद है। उन्होंने सवाल किया कि जब अशोक गहलोत ने पूर्व में भी चार मामले सीबीआइ जांच के लिए दिए हैं, तो इस मामले को सीबीआइ को क्यों नहीं सौंपा जा रहा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्व में बिना किसी वित्तीय प्रबंधन और बिना कार्यालय के सलाहकार नियुक्त करने के साथ-साथ अब राजनीतिक नियुक्तियों में भी यही हाल किया है। सरकार द्वारा अभी इन नवनियुक्त बोर्ड-आयोग के अध्यक्षों और चेयरमैन को मंत्री पद का दर्जा भी नहीं दिया गया है लेकिन इन स्वघोषित मंत्रियों ने अभी से सरकारी कार्यालयों और सर्किट हाउस में कब्जा जमा लिया है।