महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर जेलों से बंदियों को रिहा करने का निर्णय लिया था। राज्य सरकार की तीन सदस्यीय कमेटी ने रिहाई होने वालों की सूची तैयार कर भिजवाई। पहले चरण की शुरुआत में दो अक्टूबर-१८ को प्रदेशभर के ८६ बंदियों को रिहा किया गया। दूसरा चरण छह अप्रेल-१९ को डांडी यात्रा दिवस पर और तीसरा चरण दो अक्टूबर-२०२० गांधी जयंती पर बंदियों को रिहा करना था लेकिन दूसरा फेज का मामला आचार संहिता के कारण अटक गया है। विदित रहे कि गत वर्ष बीकानेर जेल से १२ बंदियों को रिहा किया गया था। इस बार पांच बंदियों के प्रस्ताव तैयार कर भिजवाए गए हैं।
केन्द्र सरकार की इस योजना में केवल सामान्य अपराधों के तहत जेलों में सजा भुगत रहे बंदी लाभ ले सकते हैं। इनमें 55 वर्ष से ऊपर की महिलाएं जो 50 फीसदी सजा पूरी कर चुकी हों, किन्नर हो, पुरुष बंदी जो अनजाने में अपराध कर जेल में बंद होकर 50 फीसद सजा काट चुके हों, 70 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग बंदी जो 50 फीसदी सजा पूरी कर चुके हों व दो-तिहाई से ज्यादा सजा काट चुके बंदियों को शामिल किया गया हैं। वहीं हत्या के आरोपी, कुख्यात अपराधी, हार्डकोर नक्सली व उम्रकैद वाले बंदी एवं गंभीर प्रवृति के अपराध की सजा भुगत रहे बंदी इस योजना का लाभ नहीं ले सकते।
तस्करी, चोरी, धोखाधड़ी एवं दुर्घटना मामले में सजायाफ्ता बंदियों को छूट। बीकानेर जेल से पांच बंदियों के प्रस्ताव तैयार भिजवा दिए गए थे। बंदियों को रिहा करने संबंधी अब तक कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं।
परमजीतसिंह सिद्धू, जेल अधीक्षक बीकानेर
विक्रमसिंह, आईजी
जेल जयपुर