शहरों में इसका अनुपात 35 महिलाओं पर एक और गांवों में 52 पर एक है। अनुमान है कि वर्ष 2030 तक आठ महिलाओं में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त होगी। बढ़ते कैंसर का कारण बदलती जीवन शैली, खानपान और खाद्य पदार्थों में पेस्टिसाइड का बढ़ता उपयोग है। इसका इलाज तो पूरी तरह अभी संभव नहीं है, लेकिन तुलसी कैंसर अस्पताल में पीडि़त महिलाओं को बे्रस्ट री-कंस्ट्रक्शन के जरिये राहत दी जा रही है। इससे महिलाओं में आत्मविश्वास और रोग से लडऩे की हिम्मत बंधी है।
दो तरीके से री-कंस्ट्रक्शन
ब्रेस्ट री-कंस्ट्रक्शन दो प्रकार से किया जाता है। पहले में शरीर का मांस ब्रेस्ट पर लगाया जाता है, जिसे फ्लैप रीकंस्ट्रक्शन कहते हैं। इससे मरीज की पीठ से स्किन, फैट, मसल्स लेकर स्कल के नीचे टनल बनाकर ब्रेस्ट री-कंस्ट्रक्शन किया जाता है। दूसरे तरीके में सिलकॉन जैल का प्रयोग किया जाता है। इससे बैलून की तरह इम्प्लांट में जैल भरकर छाती में मांसपेशियों के नीचे निकले हुए ब्रेस्ट के स्थान पर लगा दिया जाता है, जो ब्रेस्ट का लुक देता है।
ब्रेस्ट री-कंस्ट्रक्शन दो प्रकार से किया जाता है। पहले में शरीर का मांस ब्रेस्ट पर लगाया जाता है, जिसे फ्लैप रीकंस्ट्रक्शन कहते हैं। इससे मरीज की पीठ से स्किन, फैट, मसल्स लेकर स्कल के नीचे टनल बनाकर ब्रेस्ट री-कंस्ट्रक्शन किया जाता है। दूसरे तरीके में सिलकॉन जैल का प्रयोग किया जाता है। इससे बैलून की तरह इम्प्लांट में जैल भरकर छाती में मांसपेशियों के नीचे निकले हुए ब्रेस्ट के स्थान पर लगा दिया जाता है, जो ब्रेस्ट का लुक देता है।
मानसिक बल मिलता है जीवनशैली में बदलाव और खान-खान के कारण स्तन कैंसर बढ़ा रहा है। सही समय पर उपचार जान बचा सकता है। पीबीएम के कैंसर अस्पताल में ब्रेस्ट री-कंस्ट्रक्शन पर काम हो रहा है। तीन साल में पांच महिलाओं के ब्रेस्ट री-कंस्ट्रक्शन किया जा चुका है। इससे महिलाओं को बीमारी से लडऩे में मानसिक बल मिलता है।
डॉ. संदीप गुप्ता, सहायक आचार्य (सर्जिकल ऑन्कोलॉजी), कैंसर अस्पताल
डॉ. संदीप गुप्ता, सहायक आचार्य (सर्जिकल ऑन्कोलॉजी), कैंसर अस्पताल
केस : 1
सीमा (काल्पनिक नाम), उम्र 47 साल। ब्रेस्ट में सामान्य गांठ। जांच कराई तो पता चला कैंसर है। गांठ निकलवाई और स्तन (ब्रेस्ट) का री-कंस्ट्रक्शन (पुनर्निर्माण) कराया। अब दो साल से अच्छा महसूस कर रही हैं। चिकित्सक से चेकअप व दवाइयां नियमित ले रही हैं।
सीमा (काल्पनिक नाम), उम्र 47 साल। ब्रेस्ट में सामान्य गांठ। जांच कराई तो पता चला कैंसर है। गांठ निकलवाई और स्तन (ब्रेस्ट) का री-कंस्ट्रक्शन (पुनर्निर्माण) कराया। अब दो साल से अच्छा महसूस कर रही हैं। चिकित्सक से चेकअप व दवाइयां नियमित ले रही हैं।
केस : 2
सरबजीत कौर (काल्पनिक नाम), उम्र 55 साल। ब्रेस्ट पर गड्ढे से बन गए। कभी-कभी दर्द होने लगा।
दवाएं ली पर आराम नहीं आया। बीकानेर में चेकअप कराया तो कैंसर बताया। अब ऑपरेशन करा लिया है। अब ब्रेस्ट री-कंस्ट्रक्शन कराने पर विचार कर रही हैं।
सरबजीत कौर (काल्पनिक नाम), उम्र 55 साल। ब्रेस्ट पर गड्ढे से बन गए। कभी-कभी दर्द होने लगा।
दवाएं ली पर आराम नहीं आया। बीकानेर में चेकअप कराया तो कैंसर बताया। अब ऑपरेशन करा लिया है। अब ब्रेस्ट री-कंस्ट्रक्शन कराने पर विचार कर रही हैं।
बचाव के उपाय
– महिला खुद जांच करे, ताकि प्रारंभिक स्टेज में बीमारी का पता चल सके।
– 40 की उम्र के बाद साल में एक बार मेमोग्राफी करवाएं।
– नियमित व्यायाम करें।
– शिशु को स्तनपान कराएं।
– अल्कोहल का सेवन न करें
– महिला खुद जांच करे, ताकि प्रारंभिक स्टेज में बीमारी का पता चल सके।
– 40 की उम्र के बाद साल में एक बार मेमोग्राफी करवाएं।
– नियमित व्यायाम करें।
– शिशु को स्तनपान कराएं।
– अल्कोहल का सेवन न करें
रोग के लक्षण
– दर्द रहित गांठ।
– ब्रेस्ट व चमड़ी का रंग बदलना।
– ब्रेस्ट्स के आकार में बदलाव
– रक्त स्राव, ब्रेस्ट पर गड्ढे बनना।
– बगल में गांठ रोग के कारण
– पारिवारिक हिस्ट्री।
– माहवारी कम उम्र में शुरू होना और अधिक उम्र में बंद होना।
– पहला बच्चा 30 वर्ष की आयु के बाद होना।
– शिशु को स्तनपान नहीं कराना
– अल्कोहल का सेवन
– दर्द रहित गांठ।
– ब्रेस्ट व चमड़ी का रंग बदलना।
– ब्रेस्ट्स के आकार में बदलाव
– रक्त स्राव, ब्रेस्ट पर गड्ढे बनना।
– बगल में गांठ रोग के कारण
– पारिवारिक हिस्ट्री।
– माहवारी कम उम्र में शुरू होना और अधिक उम्र में बंद होना।
– पहला बच्चा 30 वर्ष की आयु के बाद होना।
– शिशु को स्तनपान नहीं कराना
– अल्कोहल का सेवन