राष्ट्र हमारा एक है भारत एक हमारा मंत्र,
आओ मिल घोष करे हम अमर रहे गणतंत्र
इस रचना में कवि पुरोहित कहते है कि देश से पहले और देश से बढकर कोई नहीं है।
देश से पहले कुछ नहीं देश से बढ कर कौन,
देश से बनते हम तुम यारो देश बिन सब गौण।
इसी प्रकार कवियित्री मनीषा सोनी आर्य कहती है-
विश्व गुरु का मान मिला है पाव ऋषियों की धारा
वसुधैव कुटुम्ब क सोच को वसुधा भर का मान मिला,
बाहे फैलाये अडिग खड़ा है मेरा हिन्दुस्तान।
आओ मिल घोष करे हम अमर रहे गणतंत्र
इस रचना में कवि पुरोहित कहते है कि देश से पहले और देश से बढकर कोई नहीं है।
देश से पहले कुछ नहीं देश से बढ कर कौन,
देश से बनते हम तुम यारो देश बिन सब गौण।
इसी प्रकार कवियित्री मनीषा सोनी आर्य कहती है-
विश्व गुरु का मान मिला है पाव ऋषियों की धारा
वसुधैव कुटुम्ब क सोच को वसुधा भर का मान मिला,
बाहे फैलाये अडिग खड़ा है मेरा हिन्दुस्तान।
साहित्यकार कासिम बीकानेर अपनी रचना ‘तिरंगा है हमे प्याराÓ में देश पर जान लुटाने वाले देशप्रेमियों को याद करते हुए तिरंगा का गुणगान करते हुए कहते है-
मेरा दिल है लिख देना तू मेरी जान लिख देना,
कफन के हर सिरे पर मेरे हिन्दुस्तान लिख देना,
तिरंगा है हमे प्यारा, मुहाफिज हम तिरंगे के,
हमारे दिल में है इसका बड़ा सम्मान लिख देना।
कवियित्री इंजी. आशा शर्मा सरहद पर तैनात एक जवान के मन की बात को अपनी रचना ‘सरहद सेपातीÓ मेंअभिव्यक्त करते हुए कहती है-
कर्तव्यों की कठिन राह को रोशन करते प्रेम दिये
चौकस नजरे सीमा पर है दिल में तेरी याद प्रिये
संगीनों के साये में जब काली रात गुजरती है
चंदा के दर्पण में तेरी बिंदिया झिलमिल करती है
जब जब मैं सपनो में आऊं सजनी मुझको खत लिखना
तुम केवल मुस्कान भेजना अपने आंसू मत लिखना
एक मोर्चा मैं संभालू एक पर तुम हो डटी खड़ी
तुम अपनो पर आंखे रखना मैं गैरो पर नजर कडी