विदेश में प्लास्टिक पैकेजिंग रीसाइकल मैनेजमेंट पर ज्ञान प्राप्त किया। वह देश के काम आए, इसी मंशा से जर्मनी से भारत लौट आए और आइआइटी रूड़की में प्रोफेसर के रूप में ज्वाइन किया। अब रूड़की में प्लास्टिंग पैकेजिंग रीसाइक्लिंग पर रिसर्च कर रहे हैं। वे राजस्थान और पूरे देश में लागू कर प्लास्टिक के जहर से मुक्ति की ओर कदम बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
ब्रेन ड्रेन की जगह ब्रेन गेन डॉ. भाटी के अनुसार विदेश में अर्जित ज्ञान देश के छात्रों को देकर ब्रेन ड्रेन की जगह ब्रेन गेन कर रहे हैं। देश में प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या को कैसे कम करें, इस पर रिसर्च कर रहे हैं। भाटी का मानना है कि प्लास्टिक, पेपर, मेटल और ग्लास पैकिंग को छांटकर रीसाइकल करने की शिक्षा बच्चों को स्कूल के शुरुआती दिनों से देनी शुरू करनी होगी, जिससे बच्चे घर जाकर अपने परिवार और समाज को यह बात सिखाएंगे। सरकार और देश के उच्च शिक्षा संस्थानों जैसे आइआइटी, आइआइएम को रीसाइक्लिंग विषय पर स्कूली शिक्षकों के लिए बुनियादी ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाने चाहिए। उच्च शिक्षा संस्थानों में वेस्ट रीसाइक्लिंग पर तेजी से शोध कार्य आगे बढ़ाने होंगे।
सोशल सर्विस में भी सक्रिय
ऋषिकेश में योग टीचर ट्रेनिंग 2019 में की। इसके बाद जर्मन, ब्राजिलियंस, अमेरिकन को ऑनलाइन और ऑफ लाइन योग करवाते थे। कोविड काल में सोशल सर्विस के तहत लोगों को स्वस्थ रहने के लिए योगासन करवाया। कोविडकाल में एनजीओ चित्ता और वुमनसर से जुड़कर राजस्थान के खासकर ग्रामीण अंचल के लोगों को मदद पहुंचाई। इसके लिए एनआरआइ से फंड जुटाया और भारत में जरूरतमंद लोगों तक सहायता पहुंचाई।
ऋषिकेश में योग टीचर ट्रेनिंग 2019 में की। इसके बाद जर्मन, ब्राजिलियंस, अमेरिकन को ऑनलाइन और ऑफ लाइन योग करवाते थे। कोविड काल में सोशल सर्विस के तहत लोगों को स्वस्थ रहने के लिए योगासन करवाया। कोविडकाल में एनजीओ चित्ता और वुमनसर से जुड़कर राजस्थान के खासकर ग्रामीण अंचल के लोगों को मदद पहुंचाई। इसके लिए एनआरआइ से फंड जुटाया और भारत में जरूरतमंद लोगों तक सहायता पहुंचाई।