जांच अधिकारियों की प्रारंभिक जांच में दोषी पाए जाने वाले उचित मूल्य दुकानदारों के खातों में राशन का आवंटन करने का मामला भी प्रकाश में आया है। हालांकि यह प्रक्रिया जयपुर मुख्यालय से हुई है, लेकिन अभी तक अधिकतर उचित मूल्य दुकानदारों ने राशन का उठाव नहीं किया है।
सूत्रों की मानें तो शहरी क्षेत्र से कई गुणा अधिक घोटाले गांवों में हुए हैं। जहां मांग की एवज में हजारों क्विंटल गेहूं का आवंटन किया गया है। गड़बडि़यां उजागर होने के बाद कुछ उचित मूल्य दुकानदारों ने तो बाजार से चीनी और गेहूं की खरीद कर राशन बांटना भी शुरू कर दिया है। इस प्रकार के नाममात्र उचित मूल्य दुकानदार हैं, लेकिन जिनके पास अभी भी स्टॉक में हजारों क्विंटल राशन का स्टॉक पड़ा बताया जा रहा है, उनकी मुश्किलें अब और ज्यादा बढ़ गई है।
जांच टीम हुई रवाना
जयपुर मुख्यालय के निर्देश पर नौ अधिकारियों की तीनों टीमें अपने-अपने जिलों की ओर सोमवार को निकल गई। जांच अधिकारियों ने अपनी जांच को गोपनीय रखा है, जिसे मंगलवार को जयपुर मुख्यालय के आला अधिकारियों को सौंपी जाएगी। बताया जाता है कि जांच अधिकारियों ने करोड़ों रुपए के घोटाले उजागर होने की आशंका व्यक्त करते हुए बीकानेर के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के दुकानदारों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने और उनके लाइसेंस निलंबित करने की अनुशंसा की है।
जांच टीम के सूत्रों की मानें तो प्रारंभिक जांच में यहां राशन वितरण प्रणाली में करोड़ों रुपए के घोटाले होने की आशंका है। हालांकि फिलहाल किसी भी अधिकारी ने इस संबंध में अधिकारित पुष्टि करने से इनकार किया है। सूत्रों की मानें तो उचित मूल्य दुकानदारों ने बीकानेर के ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी मुलाजिमों के आधार कार्ड को फर्जी राशन कार्डों से लिंक कर राशन उठा लिया। उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने सबसे पहले वितरण व्यवस्था में गड़बड़ी की खबरें प्रकाशित कर राज्य सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया था।