बताया जाता है कि जिस समय विकास अधिकारियों के हाथ में खाद्य सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, उस समय उन्होंने आंख मूंदकर अपात्र लोगों के नाम भी खाद्य सुरक्षा सूची में जोडऩे का काम कर डाला। अधिकारियों की अनदेखी के चलते गलत हाथों में वर्षों तक अपात्र लोगों के हाथों में राशन की पहुंच होती रही।
यूं हुआ गलत उपयोग
कोलायत के मिठडि़यां गांव निवासी सेवानिवृत कर्मी अनोपाराम, ग्राम सेवक किशन लाल, पुलिस कांस्टेबल बुधराम, तृतीय श्रेणी अध्यापक किशनाराम, डाककर्मी केशुराम, सेवानिवृत व्याख्याता सुजानाराम, सेवानिवृत आरएसी कांस्टेबल मोहन लाल, अध्यापक अर्जुन सिंह, ठेकेदार गणपतराम, हड़मानाराम तथा महीराम के नाम खाद्य सुरक्षा में जुड़े हुए हैं।
कोलायत के मिठडि़यां गांव निवासी सेवानिवृत कर्मी अनोपाराम, ग्राम सेवक किशन लाल, पुलिस कांस्टेबल बुधराम, तृतीय श्रेणी अध्यापक किशनाराम, डाककर्मी केशुराम, सेवानिवृत व्याख्याता सुजानाराम, सेवानिवृत आरएसी कांस्टेबल मोहन लाल, अध्यापक अर्जुन सिंह, ठेकेदार गणपतराम, हड़मानाराम तथा महीराम के नाम खाद्य सुरक्षा में जुड़े हुए हैं।
इतना ही नहीं वर्षों से इनके नाम से राशन का उठाव भी हो रहा है। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि संबंधित व्यक्तियों को इस संबंध में कोई भनक तक नहीं है। उचित मूल्य दुकानदार और कालाबाजारी में लिप्त लोगों की सांठगांठ के चलते गरीबों के नाम मिलने वाले राशन को हजम किया जा रहा है।
यह है असली हकदार
खाद्य सुरक्षा के निर्धारित मापदण्डों पर नजर डाली जाए तो इनमें मुख्यमंत्री वृद्धजन सम्मान योजना, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के पात्र, मुख्यमंत्री एकल नारी योजना, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांग पेंशन योजना सहित विभिन्न पात्र योजनाओं से जुड़े रहने वाले व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा के लाभ मिलते हैं, जबकि एेसे परिवार जिनका कोई भी एक सदस्य आयकरदाता हो,
खाद्य सुरक्षा के निर्धारित मापदण्डों पर नजर डाली जाए तो इनमें मुख्यमंत्री वृद्धजन सम्मान योजना, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के पात्र, मुख्यमंत्री एकल नारी योजना, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांग पेंशन योजना सहित विभिन्न पात्र योजनाओं से जुड़े रहने वाले व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा के लाभ मिलते हैं, जबकि एेसे परिवार जिनका कोई भी एक सदस्य आयकरदाता हो,
एक सदस्य सरकारी और अद्र्धसरकारी नौकरी से जुड़ा हो, जिनके पास चार पहिया वाहन हो, एक लाख रुपए वार्षिक से अधिक आय हो तथा जिनके नाम ग्रामीण क्षेत्र में 2 हजार वर्गफीट से अधिक निर्मित पक्का मकान होने वाले परिवार इस योजना के पात्र नहीं होते।
पासवर्ड का हुआ दुरुपयोग
जानकारों की मानें तो विकास अधिकारियों को खाद्य सुरक्षा सूची में नाम जोडऩे के लिए राज्य सरकार ने विशेष पासवर्ड दिए थे। इस दरमियान उनके पासवर्ड का गलत उपयोग हुआ। इसमें उचित मूल्य दुकानदारों के साथ-साथ निजी लोगों द्वारा पासवर्ड के गलत उपयोग करने की बातें भी निकल कर आ रही है। इनके पासवर्ड और आईपी एड्रेस की जांच की जाए तो कई चौंकाने वाले राज उजागर हो सकते हैं। बताया जाता है कि सबसे ज्यादा गड़बडि़यां लूणकरनसर और श्रीकोलायत में जून 2016 से अगस्त 2017 के बीच हुई है।
जानकारों की मानें तो विकास अधिकारियों को खाद्य सुरक्षा सूची में नाम जोडऩे के लिए राज्य सरकार ने विशेष पासवर्ड दिए थे। इस दरमियान उनके पासवर्ड का गलत उपयोग हुआ। इसमें उचित मूल्य दुकानदारों के साथ-साथ निजी लोगों द्वारा पासवर्ड के गलत उपयोग करने की बातें भी निकल कर आ रही है। इनके पासवर्ड और आईपी एड्रेस की जांच की जाए तो कई चौंकाने वाले राज उजागर हो सकते हैं। बताया जाता है कि सबसे ज्यादा गड़बडि़यां लूणकरनसर और श्रीकोलायत में जून 2016 से अगस्त 2017 के बीच हुई है।
एसीबी ने सीज किया ठेकेदार का गोदाम
रसद विभाग में हुए तथाकथित घोटालों की जांच कर रही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने राशन का वितरण करने वाले एक ठेकेदार के गोदाम को सीज कर दिया। उसके यहां प्रथम दृष्टया काफी अनियमितताएं मिली हैं। जांच के दौरान ठेकेदार से गोदाम की स्वीकृति से जुड़े दस्तावेज मांगे गए थे, लेकिन वह उसने उपलब्ध नहीं करवाए। ठेकेदार ने स्टॉक रजिस्टर देने में भी आना-कानी की।
रसद विभाग में हुए तथाकथित घोटालों की जांच कर रही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने राशन का वितरण करने वाले एक ठेकेदार के गोदाम को सीज कर दिया। उसके यहां प्रथम दृष्टया काफी अनियमितताएं मिली हैं। जांच के दौरान ठेकेदार से गोदाम की स्वीकृति से जुड़े दस्तावेज मांगे गए थे, लेकिन वह उसने उपलब्ध नहीं करवाए। ठेकेदार ने स्टॉक रजिस्टर देने में भी आना-कानी की।
इसके बाद टीम के अधिकारियों ने मौके पर गोदाम को सीज करने की कार्रवाई शुरू कर दी। बताया जाता है कि गोदाम में गरीबों को राशन मुहैया करवाने के लिए करीब १४ हजार गेहूं के कट्टे रखे हुए थे। हालांकि एसीबी के अधिकारी स्टॉक रजिस्टर के अभाव में आवक-जावक से जुड़े दस्तावेजों की जांच नहीं कर पाए।
एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रजनीश पूनिया ने बताया कि प्रथम दृष्टया राशन वितरण व्यवस्था में गड़बडि़यां सामने आ रही हैं। संबंधित ठेकेदार से गोदाम संचालन की स्वीकृति मांगी गई है, लेकिन वह उपलब्ध नहीं करवा पाया। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व एसीबी टीम ने शहर की कुछ आटा फैक्ट्रियों और रसद विभाग में छापेमार कार्रवाई कर वहां से महत्वपूर्ण दस्तावेजोंं को जब्त किया था।