विभाग के अधिकारियों ने बताया कि समसा अभी तक पूरे अस्तित्व में नहीं आया है। राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् को वित्तीय स्वीकृति दिलाने व समसा के बिलों को पास करवाने के लिए प्रस्ताव भेज दिए हैं। पिछले साल राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद् (रमसा) व सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) का एकीकरण किया गया।
इसके बाद समसा के करीब ६३२१ नए पद सृजित किए गए हैं। हालांकि अधिकारियों को समसा कार्यालयों में लगा रखा है, जबकि ये ज्यादातर काम रमसा व एसएसए के देख रहे हैं। इससे विद्यालयों में भवन निर्माण, वेतन व प्रशिक्षणों से संबंधित सभी योजनाओं की क्रियान्विति नहीं हो पा रही है।
कई विद्यालयों का वर्ष २०१८ का लेन-देन बकाया है। अधिकारियों का कहना है कि यह राज्य सरकार का विद्यालयों के विकास का ड्रीम प्रोजेक्ट है, लेकिन यह अभी तक मूर्त रूप ही नहीं ले पाया है।
नए काम शुरू नहीं
समसा के माध्यम से स्कूलों के विकास के लिए कई काम करवाए जाते है, लेकिन यह काम शुरू नहीं हो पाए हैं। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अभी स्कूलों में रमसा के माध्यम से विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। विभाग के अधिकारी तो सिर्फ पुराने काम पूरे कर रहे हैं।
बिल पास करने से मना
बीकानेर में कोषागार ने समसा के बिल पास करने से मना कर दिया है। वे सिर्फ रमसा के बिल ही पास कर रहे हैं। वहीं एसएसए के भी बिल पास नहीं कर रहे हैं। अभी पुराने काम ही चल रहे हैं। समसा के माध्यम से नए काम शुरू नहीं हुए हैं।
राजकुमार शर्मा, एडीपीसी, समग्र शिक्षा अभियान (बीकानेर)