सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन बीकानेर के इन बाल वैज्ञानिकों ने विज्ञान मेले में अपनी प्रदर्शनी से साबित कर दिया कि बीकानेर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। राजकीय चौपड़ा उच्च माध्यमिक विद्यालय में 43वीं जिलास्तरीय विज्ञान मेला प्रतियोगिता का उद्घाटन बुधवार को किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला शिक्षा अधिकारी हेमेन्द्र उपाध्याय ने की व मुख्य अतिथि जिला परिषद् मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी एल मेहरड़ा व विशिष्ट अतिथि सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता जसवंतसिंह खत्री थे। इस दौरान शिक्षक सेमिनार में गुसांईसर बड़ा की नीतू दुबे प्रथम, गट्टाणी नोखा की दुला पारीक द्वितीय, हिम्मटासर की अमिता मारू तृतीय रही।
कार्यक्रम के संयोजक मोहरसिंह यादव ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम प्रभारी कमल भारद्वाज ने विज्ञान मेले की महत्ता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में कमलकांत स्वामी, सुनील बोड़ा, करणीदान कच्छावा, राकेश व्यास, रजनीश उपस्थित थे। इस प्रदर्शनी में कुछ बाल वैज्ञानिकों ने कई तरह की प्रदर्शनी लगाई।
दोनो ने आलू, कोपर व जिंक आदि लगाकर ऋणात्मक व धनात्मक कर उनमें लगी लाईटों को जलाया। एक छात्र सुरेन्द्र ने एक गमले में दूसरा गमला और रेत डालकर चीजों को ठंडा रखने का तरीका बताया। उसके बाद उन गमलों में सब्जियां व अन्य पदार्थ रख दिया।
उसके बाद उस पर पानी से भीगा कपड़ा डाल देते है उसके बाद गमले में रखी चीजें ठंडी हो जाती हैं। देश-विदेश में समुद्रों में चल रहे तेल के टैंकर व कंटेनर कभी-कभार लीक हो जाते है या फट जाते है जिससे सारा तेल समुद्र में फैल जाता है।
इसे निकालने के लिए मोरखाणा स्कूल के छात्र ने नर्ई तकनीक ईजाद की। उसने एक जहाज बनाया। उसके पास एक मोटर लगाई। जिसमें से तेल उस मोटर में लगे पहिए पर चिपक जाती है और वह पहिया घूमकर ऊपर की तरफ वस्तु से चिपक जाता है और सारा तेल बाहर निकल जाता है।
अपने आस-पास पड़ी गंदगी से परेशान होने के बाद मोरखाणा की अनुराधा ने कचरे से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की है। जिसमें बॉयलर में कचरा व पानी डाला गया। इसके बाद कचरे को जलाते है तो पानी गर्म हो जाता है और भाप बनकर घूमता है तो इस भाप से विद्युत उत्पन्न होती है।