एेसी ही मिसाल पेश की है बीकानेर के किशन बारूपाल और किशन स्वामी ने। दोनों ने नीट-२०१९ में सफलता प्राप्त की है। अब वे मेडिकल की पढ़ाई करेंगे और डॉक्टर बनेंगे।
यह भी संयोग है कि दोनों होनहारों का नाम किशन ही है। एक के पिता सब्जी का ठेला लगाकर परिवार का पेट पालते हैं, जबकि दूसरे की मां पापड़ बेलकर और पिता टेंट हाउस पर नौकरी करते है।
संघर्ष व परिश्रम से मिली सफलता
किशन ने बताया कि उनके पिता मेघराज स्वामी सब्जी दुकान लगाते हैं। उसी से उनका गुजारा होता है। वे खुद भी पिता के काम में हाथ बंटाते हैं और ठेले पर जाकर सब्जी बेचते रहे हैं। परीक्षा नजदीक आई तो पिता ने ठेले पर आने से मना कर दिया। किशन ने बताया कि रोजाना ६ से ७ घंटे पढ़ाई करते थे।
पिता के संघर्ष ने उन्हें आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। उनके परिवार में वे पहले सदस्य हैं, जिनका नीट में चयन हुआ है। माता गीता देवी गृहिणी हैं। उन्होंने सफलता का श्रेय माता-पिता व सिंथेसिस कोचिंग संस्थान को दिया।
बेटे की लगन देख पिता ने किया प्रेरित
नीट में चयनित किशनलाल बारूपाल की माता संतोषदेवी घर में पापड़ बेलती हैं। उनके पिता सुरेन्द्र बारूपाल टेंट हाउस पर काम करते हैं। किशन ने बताया कि स्कूल की पढ़ाई में अच्छे अंक आने पर पिता को लगा कि उनका बेटा ही गरीबी दूर करेगा।
किशन ने कहा कि पिता सुबह से शाम तक टेंट बांधने का काम कर उन्हें पढ़ा रहे थे। एेसे में प्रेरित होकर खूब पढ़ाई कर नीट में सफल होने की ठान ली। चार भाइयों में वे सबसे बड़े हैं। किशन ने भी अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता व सिंथेसिस कोचिंग संस्थान को दिया है।