प्रकरण के अनुसार परिवादी ओम प्रकाश ने वर्ष 2008 में अपने बीमित वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने एवं स्वयं के चोटग्रस्त होने के बाद बीमा कम्पनी में दावा प्रस्तुत किया था। इसके बाद बीमा कम्पनी ने दुर्घटनाग्रस्त बीमा कम्पनी के प्रस्तुत दावे का भुगतान कर दिया, लेकिन चोटग्रस्त व्यक्ति के व्यक्तिगत दुर्घटना से संबंधित दावे को खारिज कर दिया। इसके बाद परिवादी ने दोबार अपील की, लेकिन बीमा कम्पनी टाल-मटोल करती रही।
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष ओपी सींवर एवं सदस्य पुखराज जोशी तथा मधुलिका आचार्य ने प्रकरण को गंभीर मानते हुए बीमा कम्पनी की सेवा में कमी माना। उन्होंने बताया कि आठ साल तक बीमा कम्पनी द्वारा टालमटोल करना उसकी सेवा में कमी को दर्शाता है।
प्रकरण की अनदेखी करने पर बीमा कम्पनी के प्रबंधक को छह माह का साधारण कारावास एवं दस हजार रुपए का जुर्माना लगाने के आदेश न्यायालय ने दिए हैं। जुर्माना अदा नहीं करने की स्थिति में बीमा कम्पनी के प्रबंधक को दो माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।