उन्होंने नर्सरी में तैयार पौधों एवं इनकी उपलब्धता के बारे में जाना। नर्सरी की सफाई व्यवस्था को सराहा तथा इसे बरकरार रखने के निर्देश दिए। यहां कार्यरत श्रमिकों से बातचीत की तथा वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर सोशल डिसटेंसिंग रखने को कहा। उन्होंने कहा कि कृषि के प्रति रुझान रखने वाले लोगों एवं विद्यार्थियों को नर्सरी का विजिट करवाया जाए। उन्होंने प्रत्येक किस्म के पौधांे के पास उनकी नाम पट्टिका लगाने को कहा।
तैयार हैं यह पौधे
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय की नर्सरी में शीशम, नीम, करंज, बरायण, अर्जुन, बोगनविलिया, चांदनी, मोगरा, रातरानी, हरसिंगार, पीपल, बड़, चमेली, गुलमोहर, नागचंपा, बेर, खेजड़ी, नींबू, अनार, आम, खजूर, आंवला, जामुन, पपीता, गूंदा, मीठा नीम, शहतूत, करौंदा आदि के पौधे तैयार किए गए हैं। इसी प्रकार अश्वगंधा, शतावरी, सेंजना, गिलोय, गूलर, एलोवेरा, पत्थरचट्टा, अर्जुन, जामुन, वज्रदंती, अरंजा आदि औषधीय महत्त्व के पौधों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।
भू सदृश्यता एवं राजस्व सृजन निदेशालय के निदेशक प्रो. सुभाष चंद्र ने बताया कि नर्सरी द्वारा अब तक कृषि अनुसंधान केन्द्र को लगभग एक लाख तथा केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान को साठ हजार रुपये की वर्मीकम्पोस्ट विक्रय की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि रविवार को भी नर्सरी खुली रहेगी।