क्या है ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’
पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन के ग्लासगो में एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड का आह्वान किया था। यहां से ब्रिटेन का साथ मिला और बादमें अमरीका ने भी इसे समर्थन दे दिया। इस पहल के पीछे दर्शन यह है कि सूरज कभी अस्त नहीं होता। इसके जरिए एक ऐसा ग्रिड विकसित किया जाएगा जो क्षेत्रीय सीमाओं के परे होगा। यह ग्रिड दुनियाभर से एकत्रित सौर ऊर्जा को अलग-अलग लोड सेंटर्स तक पहुंचाएगा। न्यू एंड रीन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री ने जो ड्राफ्ट तैयार किया है, उसके अनुसार इसके जरिए 140 देशों को एक कॉमन ग्रिड से जोड़ा जाएगा। यह प्रोजेक्ट तीन चरणों में लागू होगा। इस पर अध्ययन के लिए 8 सितंबर 2021 को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और विश्व बैंक के बीच त्रिपक्षीय समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे।
हमारे यहां इसलिए पावर हब की संभावनाएं
– राजस्थान में सूर्य की किरणें वर्ष में करीब 325 दिनों तक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहती है। जो सौर ऊर्जा के लिए अहम आवश्यकता है।
– यहां प्रतिदिन सौर ऊर्जा प्लांट से 225 लाख यूनिट से ज्यादा बिजली उत्पादन हो रहा है।
– यहां 200 गीगावाट से ज्यादा सोलर एनर्जी की क्षमता है।
– सवा लाख हैक्टेयर जमीन उपलब्ध है और 70 हजार मेगावाट क्षमता के प्लांट लग सकते हैं।
– वर्ष 2024-25 तक 30 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
– तीन साल में साढ़े छह गीगावाट यानी 6,552 मेगावाट से अधिक अतिरिक्त सौर ऊर्जा क्षमता विकसित की जा चुकी।
– देश में स्थापित कुल 49 गीगावाट में अकेले राजस्थान की 10.5 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता।
एक्सपर्ट व्यू : बेहतर प्रबंधन से होगा सपना साकार
देश और प्रदेश में पिछले दस सालों में सोलर इंडस्ट्री में तेजी से काम हुआ है। इससे राजस्थान में रोजगार भी बढ़ा है। सरकारी प्रोत्साहन से ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में बेहतर काम हो रहा है। सोलर से संबंधित मशीनरी को लेकर भी हम आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। यदि संगठित तरीके से प्रबंधन और कार्यान्वयन हो तो हम एक सूर्य एक विश्व एक ग्रिड का सपना जल्द साकार कर सकते हैं।
– योगेंद्र रंगा, सोलर एक्सपर्ट, बीकानेर।