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हमारी संस्कृति पावन – आचार्य बालकृष्ण

locationबीकानेरPublished: Nov 17, 2018 08:37:34 am

Submitted by:

dinesh kumar swami

पदमाराम कुलरिया को संत की उपाधि

sriram katha

हमारी संस्कृति पावन – आचार्य बालकृष्ण

नोखा. मूलवास-सीलवा स्थित पदम पैलेस में चल रही श्रीराम कथा में शुक्रवार को आयोजित संत समागम में पंतजलि योग पीठ हरिद्वार के आचार्य बालकृष्ण ने शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति व परम्पराएं पावन व पवित्र है। भारत जैसी संस्कृति दुनिया के किसी भी देश में नही है। यहां की संस्कृति में गायों की सेवा करना, धर्म पुण्य कार्य करना, संतो का आदर, गुरुजनों का सम्मान करना कही नहीं मिलेगा। संत समागम में परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के अधिष्ठाता संत चिदानंद सरस्वती ने गो सेवी पदमाराम कुलरिया को भगवा चादर ओढ़ाकर संत की उपाधि से नवाजा। चिदानंद मुनि ने कहा कि जो व्यक्ति गृहस्थी होते हुए भी अपना जीवन समाज सेवा में लगा दे, गायों व पर्यावरण के लिए जिए, तो वो संत है।
उन्होंने कहा कि संत पदमाराम कुलरिया राजस्थान को हरा-भरा बनाने के लिए 81 हजार पेड़ लगाने के कार्य में लगे हैं। कथा व्यास संत मुरलीधर महाराज ने कहा कि दीन-दुखियों के साथ गोमाता की सेवा करना हिन्दू धर्म है। इससे हमें पुण्य मिलता है। गो नवरात्रा पर गाय का पूजन अवश्य करना चाहिए। इस दुर्लभ मनुष्य जीवन को भगवान के भजन में और दूसरों की सेवा में लगाना चाहिए, तभी सही मायने में मनुष्य जीवन सार्थक होगा। कार्यक्रम में पदमाराम कुलरिया की ओर से प्रकाशित ‘भगवान श्रीराम की पावन कहानीÓ पुस्तक का स्कूलों में वितरण किया गया।
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