नसबंदी कराने आई महिलाएं व परिजन अस्पताल की गैलेरी में नीचे फर्श पर बैठे नजर आए। उनके लिए दरी बिछाना तक उचित नहीं समझा गया। गर्मी से परेशान मासूम बच्चों को रो-रोकर बुरा हाल हो रहा था। कुछ बच्चों को नीचे फर्श पर ही सुलाया था। नसबंदी ऑपरेशन करने के बाद महिलाओं को ले जाने के लिए स्ट्रेक्चर तक नहीं थी, उनको अद्र्धचेतन अवस्था में ही व्हीलचेयर पर बैठाकर वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा था। वार्ड में बेड पर बिना बैडशीट के ही लिटाया जा रहा था।
अव्यवस्था पर रोष
अव्यवस्था को देखकर महिलाओं सहित परिजनों में रोष देखा गया। उनका कहना था कि भीषण गर्मी में नसबंदी ऑपरेशन कराने के लिए दूर गांवों से आए हैं। यहां पर ना पीने को पानी है और ना ही कोई कूलर-पंखा है। बैठने के लिए फर्श पर दरी तक नहीं है। इतनी गर्मी में किसी महिला की तबीयत बिगड़ जाती है, तो जिम्मेदार कौन होगा?
पर्याप्त मिलता है बजट
जानकारी के मुताबिक सरकार परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत नसबंदी शिविरों के आयोजन को लेकर जरूरी सुविधाएं व व्यवस्थाएं जुटाने के लिए पर्याप्त बजट देती है। इसके बावजूद जिम्मेदार इन शिविरों में कोई भी इंतजाम नहीं कर रहे हैं। शिविर में दूर-दराज के गांवों से सुबह जल्दी आकर बैठने वाली महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन दोपहर बाद शुरू किए जा रहे हैं। शिविर में नसबंदी ऑपरेशन एक फाउंडेशन टीम द्वारा किए जा रहे हैं।
लापरवाही मिली तो करेंगे कार्रवाई
&महिला नसबंदी ऑपरेशन का काम दो स्वयंसेवी संस्था को दे रखा है। शिविर में सभी व्यवस्थाएं उनको ही करनी होती है। इसकी मॉनिटङ्क्षरग के लिए बीसीएमओ व अस्पताल प्रभारी को निर्देश दिए हैं। नोखा के नसबंदी शिविर में किसी तरह की अव्यवस्थाएं हुई है। संबंधित अधिकारियों से बात भी करूंगा, लापरवाही बरती गई है, तो नोटिस जारी कर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ योगेंद्र तनेजा, उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, परिवार कल्याण