बताया जा रहा है आने वाले दिनों में भी निगम की ओर से सडक़ों से बेसहारा पशुओं को पकडऩे की योजना नहीं लग रही है। ऐसे में सडक़ों पर इनकी संख्या बढऩा तय है। वहीं दूसरी ओर पूगल रोड स्थित निगम गोशाला के संचालन पर भी संशय बना हुआ है। निगम गोशाला में रह रहे पशुओं को जिले की दूसरी गोशालाओं में शिफ्ट करने की योजना पर काम कर रहा है।
सडक़ों पर बढ़ रहे पशु
गली-मोहल्लों से लेकर बाजारों और कॉलोनी क्षेत्रों तक बेसहारा पशु खुले में घूम रहे है। निगम की ओर से एक बार सडक़ों पर घूम रहे दुधारू पशुओं को पकडऩे की कार्यवाही शुरू करने से सडक़ों पर से इनकी संख्या कम हो गई थी, लेकिन निगम की ओर से यह काम बंद करने से अब दुधारू पशु फिर से सडक़ों पर नजर आने लगे है। पशुओं की मौजूदगी से यातायात बाधित हो रहा है और पशुओं के कारण खतरा भी हर समय बना रहता है।
नहीं पकड़ रहे पशु
निगम से अनुबंधित ठेकेदार फर्म के संचालक पूनम चंद पुरोहित बताते है कि मई से पशुओं को पकडऩे का काम बंद है। लॉक डाउन के दौरान मई में तीन चार दिन कफर््यू क्षेत्रों से कुछ पशु पकडे गए थे। मई से अब तक पशु पकडऩे का काम बंद पड़ा है। उन्होंने बताया कि निगम से आदेश मिलते ही पशु पकडऩे का काम फिर से शुरू कर देंगे।
गोशाला से पशुओं को शिफ्ट करने की तैयारी
पिछले साल नवम्बर में शुरू की गई पूगल रोड स्थित निगम गोशाला से पशु शिफ्ट होंगे। निगम ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी है। बताया जा रहा है निगम गोशाला में रह रहे पशुओं को जिले की पचास गोशालाओं में शिफ्ट किए जाएंगे। हालांकि पशुओं को शिफ्ट करने का कारण आधारभूत सुविधाओं की कमी बताया जा रहा है और सुविधाएं पूरी होने के बाद पशुओं को पुन: गोशाला में लाने की बात कही जा रही है, लेकिन गोशाला को लेकर चल रही राजनीति इसका कारण बताया जा रहा है। गोशाला में वर्तमान में एक हजार से अधिक पशु रह रहे है। निगम की लेखाशाखा की जानकारी अनुसार निगम गोशाला पर अब तक साढ़े तीन करोड रुपए से अधिक राशि खर्च कर चुका है।