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कोरोना का साया: सूती डोरिया साड़ी व्यापार ठप्प, 10 दिन में ही करीब 15 करोड़ रुपए का घाटा

locationबीकानेरPublished: Apr 02, 2020 04:45:33 pm

Submitted by:

Atul Acharya

बीकानेर में करीब पांच हजार है थोक व खुदरा व्यापारी, प्रदेश सहित अन्य राज्यों में जाती है साडि़यां
 

कोरोना का साया: सूती डोरिया साड़ी व्यापार ठप्प, 10 दिन में ही करीब 15 करोड़ रुपए का घाटा

कोरोना का साया: सूती डोरिया साड़ी व्यापार ठप्प, 10 दिन में ही करीब 15 करोड़ रुपए का घाटा

-रमेश बिस्सा

बीकानेर. देश में कोराना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के चलते उपजे हालातों से व्यापार और उद्योग धंधे संकट में आ गए हैं। मुख्य रूप से बीकानेर से अन्य राज्यों को वस्तुओं की सप्लाई पर भी ब्रेक लग गए हैं। बीकानेर में साडि़यों का बहुत बड़ा कारोबार हर रोज होता है। यहां पर साडि़यों के करीब पांच हजार थोक व खुदरा विक्रेता है। बीकानेरी सूती डोरिया व प्रिंटेड साडि़यां प्रदेश सहित अन्य राज्यों में मुख्य रूप से पसंद की जाती है। यह साडि़यां रोजाना ट्रक ट्रांसपोर्टरों के साथ ही रेलवे के माध्यम से अन्य राज्यों में सप्लाई की जाती है। लेकिन कोरोना वायरस के कारण पिछले दस दिन से बीकानेर में सूती डोरिया व प्रिंटेड साडि़यों का कारोबार पूरी तरह से बंद है। कारोबार बंद होने से दस दिन में बीकानेर के उद्योग और व्यापारियों को करीब १५ करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है।
70 से 80 परिवार करते है यह काम

बीकानेर में डोरिया व सूती साडिय़ों पर स्क्रीन प्रिटिंग, वर्क, कढ़ाई व बुनाई का डिजाइन तैयार किया जाता है। इसके लिए यहां पर 70 से 80 परिवार ऐसे है जो यह कार्य करते हैं। साड़ी व्यापारी इनको साडिय़ां व अन्य सामान उपलब्ध करवाते हैं और ये परिवार इन साडिय़ों पर आकर्षक प्रिटिंग कर वापस देते है। फिर व्यापारी इन साडिय़ों को स्थानीय ग्राहकों के साथ ही अन्य राज्यों को मांग के अनुसार भेजते हैं। रंगाई, कढ़ाई, छपाई का कार्य हाथ से होता हैं, वहीं कुछ एक ने अब कंप्यूटराइज्ड मशीनें भी लगा रखी है।
दो से तीन सौ साडिय़ों पर रोजाना प्रिंटिंग

छपाई करने वाले कारीगरों के यहां पर रोजाना 200 से 300 साडि़यां प्रिटिंग होती है। इसमें साड़ी की क्वालिटी के लिहाज से खर्च आता है। इस तरह से प्रत्यक्ष अप्रत्क्ष रूप से इस व्यापार में सैकड़ों लोग जुड़े हैं जिनकी रोजी रोटी इससे चलती है। काम बंद होने से इनके सामने समस्या आ रही है।
50 लाख का कारोबार

बीकानेर में रोजाना 50 लाख रुपए से ज्यादा का यह व्यापार होता है। इसमें फैन्सी साडि़यां भी शामिल है जो शादी समारोह, पर्व व उत्सवों में ही बिकती है। लेकिन इन दिनों लॉकडाउन के कारण सभी कार्य ठप्प है। ऐसे में किसी तरह का व्यापार नहीं हो रहा है। इसके अलावा मुम्बई से मलमल का कपड़ा आता है जिससे राजपूती ड्रेस बनती है। इस कपड़े पर भी यहां पर वर्क किया जाता है।

अभी है सीजन
पश्चिम बंगाल, बिहार, उडि़सा, राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों में इन दिनों सूती व डोरिया साडि़यों का सीजन था। कोलकाता, आसाम, बिहार आदि राज्यों के व्यापारी तो मार्च में ही बीकानेर से डोरिया सूती साडि़यां मंगवा लेते है। इस बार लॉकडाउन से पहले जिनके यहां पर पार्सल पहुंच गए हैं वो तो ठीक है, लेकिन जो माल बीच रास्ते में ट्रांसपोर्टेशन में अटका है उसके लिए भी व्यापारी चिन्तित है। लॉकडाउन के बाद वह माल यहां पर वापस आ सकता है जिससे यहां के व्यापारियों को दोहरा नुकसान होने की आशंका है।
संकट की घड़ी है लेकिन लॉकडाउन का समर्थन

यह सही है कि जीएसटी के बाद अभी थोड़ा ही समय हुआ है जब कपड़ा व्यापार, खासकर साडि़यों का बाजार सुधरा था। लेकिन कोरोना वायरस की महामारी का साया छा गया। इस कारण इस उद्योग की कमर टूट गई है। बीकानेर में रोजाना लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। लेकिन फिर भी सरकार के लॉकडाउन में व्यापारियों का पूरा समर्थन है। इस घड़ी में यह ही उपाय है।
– घनश्याम लखानी, प्रवक्ताए थोक वस्त्र व्यापार संघ।

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