गंगाशहर निवासी भंवरलाल रांकावत बताते हैं कि 50 साल पहले दादा बाबा टालदास गंगाशहर, भीनासर व किसमीदेसर की गलियों में हाथ गाड़े पर बर्फ और शरबत ले जाकर छत्ते बेचते थे। इसके बाद पिता सुंदरलाल ने छत्ते बेचने का काम संभाला। अब बड़ी दुकान खोल कर छत्ता बेचते हैं। इसमें भी हर बार नयापन क्या हो सकता है, इसके बारे में विचार-विमर्श चलता रहता है। छत्ता विक्रेता राजू की चौथी पीढ़ी इस काम में है। दादा से शुरू हुए काम को पिता ने संभाला। फिर तीन भाइयों ने तथा अब पुत्र भी इस काम को संभाल रहा है।
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165 से अधिक फ्लेवरजस्सूसर गेट स्थित छत्ता संचालक पप्पू भाई ने बताया कि आज छत्ते में डालने वाले शरबत के फ्लेवर की संख्या भी 165 से अधिक तक पहुंच गई है। चॉकलेट, कीवी, केवड़ा, बटर स्कॉच, अमरूद, कोकोनट, मैंगोबाइट, सौंफ, इमली, कोल्ड कॉफी, पिस्ता, एप्पल, रेडचिली, जैसे फ्लेवर खासे लोकप्रिय हो रहे हैं। वर्तमान में छत्ते की कीमत 20 से 80 रुपए तक है। छत्ते के लिए शरबत स्वयं बनाते हैं, ताकि ओरिजिनल फ्लेवर का टेस्ट बना रहे। उन्होंने बताया कि छत्ते में डालने के लिए रबड़ी भी घर में ही तैयार करते हैं।
अशोक रांकावत बताते हैं कि शाम को पांच बजे से लेकर रात 12 बजे तक छत्ता खाने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। विदेशों में आयोजित होने वाली शादियों में भी ऑर्डर रहते हैं। अब तक चीन, नेपाल, भूटान, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, हांगकांग, दुबई जैसे देशों में प्रवासी राजस्थानियों के शादी समारोह और उत्सवों में छत्ता अपना स्वाद पहुंचा चुका है। देश में लगभग सभी बड़े शहरों में प्रवासी राजस्थानियों के कार्यक्रमों में स्वादिष्ट छत्ता मौजूद रहता है।