वहीं 40 फीसदी लोगों ने माना कि जब भी उनका सरकारी दफ्तर से काम पड़ा, तुरंत नहीं हुआ। इसके लिए कई बार चक्कर काटने पड़े। सर्वे प्रश्नावली में 31 फीसदी लोगों ने विकल्प चुना कि ऑफिस में काम करवाने के लिए सिफारिश करवानी पड़ी। कुल मिलाकर जिले के सरकारी कार्यालयों में काम काज के ढर्रे को सुधारने की आवश्यकता है।
राजस्थान पत्रिका ने तीन सवालों के चार-चार विकल्प की प्रश्नावली तैयार कर जिलेभर में संवाददाताओं के माध्यम से सरकारी कार्यालयों में आए लोगों से सर्वे किया। यह सर्वे बुधवार सुबह 9.30 बजे शुरू हुआ। इसी समय जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने बुधवार को 11 अधिकारियों को सरकारी कार्यालयों में भेजकर औचक निरीक्षण करवाया। प्रशासन के निरीक्षण में जहां एक पक्ष का खुलासा हुआ कि बड़ी तादाद में सरकारी कर्मचारी और अधिकारी ऑफिस में समय पर नहीं पहुंचते।
पत्रिका की प्रश्नावली के सर्वे में इससे आगे की हकीकत भी सामने आ गई। इसमें 39 फीसदी लोगों का मानना था कि कार्मिक समय पर नहीं आते और समय से पहले ऑफिस छोड़कर चले जाते हैं। प्रशासन के निरीक्षण में भी अनुपस्थित मिले कार्मिकों का प्रतिशत भी इसी के आस-पास आया है।
सर्वे प्रश्नावली और परिणाम पर एक नजर... Q 1. सरकारी ऑफिस में जब किसी काम से वास्ता पड़ा तो अनुभव कैसा रहा ? 20% काम आसानी से तुरंत हो गया। 31% सिफारिश करवानी पड़ी तब काम हुआ।
40% ऑफिस के कई चक्कर लगाने पड़े। 09% रिश्वत मांगी गई/ पैसे लेकर काम किया। Q 2. आपके उपखण्ड/ तहसील/ अस्पताल में स्टाफ समय पर आता है? 39% देरी से ऑफिस आते हैं/ ऑफिस टाइम समाप्त होने से पहले चले जाते हैं कार्मिक।
13% कार्मिक समय पर आते हैं, समय पर जाते हैं। 18% लंच ब्रेक की आड़ में दोपहर में कार्मिक लम्बे समय तक ऑफिस से गायब रहते हैं। 30% कुछ कार्मिक समय पालना करते हैं, कुछ नहीं करते।
Q 3. क्या सरकारी अधिकारी कार्यालयों में नियमित जनसुनवाई करते हैं और जनता के बीच जाते हैं? 30% नियमित जनसुनवाई नहीं करते और जनता के बीच नहीं जाते। 31% ऑफिस में जनता से मिलते हैं और कभी कभार जनता के बीच जाते हैं।
20% काम को टालने की प्रवृति रहती है। 19% जनता की सुनवाई अच्छे से होती है। जनता में भी जाते हैं।