संघ महानिदेशिका के रूप में कनकप्रभा ने धर्मसंघ में आचायश्री के आदेशानुसार नए आयाम स्थापित किए और अपने व्यक्तित्व और कतित्व की अमिट छाप छोड़ी। साध्वी प्रमुखा पद के रूप में 50 साल हाल ही में पूरी कर 51 वें साल में प्रवेश करने वाली कनकप्रभा के साध्वी प्रमुखा का अमृत महोत्सव मनाया गया। 17 मार्च को साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा का जीवन के 81 वें साल में महाप्रयाण हो गया।
बीकानेर में मिला साध्वी प्रमुखा का पद
साध्वी प्रमुखा कनप्रभा का जन्म विक्रम संवत 1998 में कलकत्ता में हुआ। उनका बचपन लाडनू में बीता। उनके पिता सूरजमल बैद का मूल निवास लाडनू था। बचपन का नाम कला था। साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने अपने जीवन के 19 वें साल में विक्रम संवत 2017 में तेरापंथ धर्मसंघ में साध्वी के रूप में दीक्षा ली। विक्रम संवत 2028 में बीकानेर गंगाशहर में आचार्य तुलसी ने साध्वी कनकप्रभा को तेरापंथ धर्मसंघ में साध्वी प्रमुखा के पद पर नियुक्त किया।
साध्वी से शासन माता
साध्वी के रूप में दीक्षा लेने वाली कनकप्रभा ने अपनी गुरु भक्ति, अनुशासन, ज्ञान, अध्यात्म,आचार्यों से मिले आदेशों का अनुसरण करते हुए तेरापंथ धर्मसंघ में कई आदर्श स्थापित किए। कनकप्रभा को साध्वी प्रमुखा पद के साथ-साथ महाश्रमणी, संघ महानिदेशिका, असाधारण साध्वी और शासन माता के पद से भी सुशोभित हुई।
साहित्यकार व कवियित्री
साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा कुशल साहित्यकार और श्रेष्ठ कवियित्री भी थी। साध्वी प्रमुखा ने अपने कर्तव्य और व्यक्तित्व से धर्मसंघ की व मानव जाति की महनीय सेवा की । उन्होने अपने जीवन में गद्य,पद्य, काव्य यात्रा संस्मरण आदि 51 पुस्तकों का आलेखन व 80 से अधिक ग्रंथों पुस्तकों का संपादन कर साहित्य भंडार को समृद्ध किया।
सादगी व सरलता, ओजस्वी उदबोधन
साध्वी प्रमुख कनकप्रभा का जीवन सादगी और सरलता से भरा रहा। उनसे जो कोई एक बार मिल लेता, साध्वी प्रमुखा की ओर आकर्षित हो जाता। उनके व्यक्तित्व में चुंबकीय शक्ति थी। प्रवचन के दौरान उनकी ओजस्वी वाणी और धारा प्रवाह उदबोधन लोगों को सदैव याद रहेंगे। उदबोधन के दौरान हर व्यक्ति के मन में उपज रहे सहज प्रश्नों को जानना और सरल व साधारण तरीके से उनका हल भी बताना साध्वी प्रमुखा के प्रवचन की सदैव विशेषता रही। हर विषय पर पकड़, गंभीर चिंतन, नपे-तुले शब्दों का उपयोग शब्दों से हर किसी को आकर्षित करने की अदभु त क्षमता साध्वी प्रमुखा कनप्रभा में थी।
आठवीं साध्वी प्रमुखा
तेरापंथ धर्मसंघ साध्वी समाज के प्रशासनिक प्रमुख के अधिकारों एवं संघीय सम्मान में वद्धि कर व्यविस्थत रूप से साध्वी प्रमुखा पद का शिलान्यास हुआ। प्रथम साध्वी प्रमुखा के रूप में महासती सरदारांजी को नियुक्त किया गया। तब से अब तक साध्वी प्रमुखा की यह परम्परा तेरापंथ संघ में व्यविस्िात रूप से चल रही है। साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा इस क्रम में आठवी साध्वी प्रमुखा बनी। विक्रम संवत 2028 में जब सप्तम साध्वी प्रमुखा लाडाजी के महाप्रयाण के बाद साध्वी प्रमुखा के दायित्वपूर्ण और गरिमापूर्ण स्थान की रिक्तता को साध्वी कनकप्रभा को साध्वी प्रमुखा नियुक्त कर पूरी की गई।
80 हजार किमी से अधिक पदयात्रा
साध्वी प्रमुखाा के रूप में कनकप्रभा ने देश के विभिन्न स्थानों सहित नेपाल में काठमांडृ और विराटनगर तक पदयात्राएं की। आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ और आचार्य महाश्रमण के बीकानेर प्रवास के दौरान बीकानेर पहुंचने के साथ साध्वी प्रमुखा कई बार बीकानेर में प्रवास पर रही है। प्रेक्षायात्रा के दौरान भी साध्वी प्रमुखा एक बार स्वतंत्र रूप से बीकानेर प्रवास पर रही।
साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा -एक परिचय
जन्म - विक्रम संवत 1998 कोलकाता मेंमाता का नाम -छोटा देवी
पिता का नाम - सूरजमल बैदबचपन का नाम -कला
जैन साध्वी दीक्षा - विक्रम संवत 2017 केलवामुमुक्ष कला - आचार्य तुलसी ने रखा नाम साध्वी कनकप्रभा
साध्वी प्रमुखा - विक्रम संवत 2028 गंगाशहर बीकानेर मेंसाध्वी प्रमुखा के रूप में समय - 50 साल से अधिक समय
महाप्रयाण - 17 मार्च 2022 नई दिल्ली