इस तरह दे रहे गच्चा सरसों की खरीद करने पर व्यापारी, उद्योगपति और मिल मालिक को पांच प्रतिशत जीएसटी और एक प्रतिशत मंडी टैक्स सरकार को देना पड़ता है। मंडी में अभी 6 हजार रुपए से 6450 रुपए प्रति क्विंटल सरसों बिक रही है। इस हिसाब से एक क्विंटल पर करीब साढ़े तीन सौ से चार सौ रुपए टैक्स बनाता है। इस तरह किसानों से सीधे माल खरीदकर और मंडी में माल खरीदकर बिना बिल के ट्रकों में लादकर बाहर निकाल कर लाखों रुपए का टैक्स चोरी कर लिया जाता है।
ट्रांसपोर्टर से लेकर नाको तक पूरी चेन स्थानीय मंडियों और किसानों से टैक्स चोरी कर सरसों की खरीद करने वालों की पूरी चेन बनी हुई है। कुछ सरसों तेल मिलों में खपा दी जाती है। कुछ सरसों अन्य राज्यों को भेजी जाती है। सबसे ज्यादा हरियाणा के चरखीदादरी में सरसों जा रही है। ट्रांसपोर्टर टैक्स चोरी की सरसों को सुरक्षित गतंव्य तक पहुंचाने के लिए 25 से 30 रुपए अतिरिक्त लेते हैं। राज्य की सीमा पार करने और रास्ते में विजिलेंस की चेक पोस्ट पर ट्रांसपोर्टरों की सेटिंग रहती है। इस तरह से करोड़ों का अवैध करोबार होता है। इसके साथ एक ही ई-बिल पर कई ट्रक माल भी पार कराया जाता है।