पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि यहां तरणताल में करीब छह से साढ़े चार फुट तक पानी डालकर घोड़ों को तैराते हैं। कई बार घोड़े चोटिल हो जाते हैं और लंगडे़ हो जाते है । इसके लिए जल चिकित्सा से घोड़ों को एक्सरसाइज करवाते हैं, जिससे यह जल्द ठीक हो जाते हैं।
केन्द्र में मारवाड़ी व काठियावाड़ी नस्ल के घोड़े ज्यादा हैं। इन नस्लों के घोड़े बड़े होते हैं। इसीलिए इन घोड़ों को तरणताल में तैराकर एक्सरसाइज करवाई जाती है। इस केन्द्र में करीब १८५ घोड़े हैं, जिन्हें नियमित रूप से जल चिकित्सा दी जाती है।
जल चिकित्सा के लिए घोड़ों का शेड्यूल बना रखा है। इसके अनुसार ही इनको तरणताल में लाकर एक्सरसाइज करवाई जाती है। इससे घोड़े का स्टेमिना बढ़ता है और चोट से रिकवरी जल्दी होती है।
डॉ. एससी मेहता, प्रभारी अधिकारी, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र बीकानेर