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बीकानेर

चंदा ने भरी उड़ान, पतंगों के लड़े पेच, बोई काट्या…फेर उड़ा की गूंज

आखातीज – रंग-बिरंगी पतंगों से आच्छादित रहा शहर का आकाशपारंपरिक रूप से चंदा उड़ाने की हुई रस्म, खीचड़ा-इमलाणी का भोजन में उपयोग ‘बोई काट्या है, फेर उड़ा’, ‘ थ्हारै नाकड ऊपर घूम रयो’, ‘गळी में गळी में’ और ‘आयग्यो-आयग्यो’ सरीखे स्वरों की गूंज घर-घर और गली-मोहल्लों में रही। सुबह से शुरू हुई यह गूंज देर […]

बीकानेरMay 10, 2024 / 11:34 pm

Vimal

आखातीज – रंग-बिरंगी पतंगों से आच्छादित रहा शहर का आकाशपारंपरिक रूप से चंदा उड़ाने की हुई रस्म, खीचड़ा-इमलाणी का भोजन में उपयोग

‘बोई काट्या है, फेर उड़ा’, ‘ थ्हारै नाकड ऊपर घूम रयो’, ‘गळी में गळी में’ और ‘आयग्यो-आयग्यो’ सरीखे स्वरों की गूंज घर-घर और गली-मोहल्लों में रही। सुबह से शुरू हुई यह गूंज देर शाम तक गूंजती रही।नगर स्थापना दिवस पर दो दिवसीय पतंगबाजी के दूसरे दिन शुक्रवार को शहर का आकाश रंग बिरंगी पतंगों से आच्छादित रहा। तेज धूप और भीषण गर्मी भी पतंगबाजी के शौकिनों को पतंगबाजी करने से रोक नहीं पाई। दिन भर पेच लड़ाने, पतंगे काटने और लूटने का सिलसिला चलता रहा। बच्चों से बुजुर्गों तक ने पतंगबाजी का जमकर आनंद लिया। कटी पतंगों को लूटने वाले युवा गली-मोहल्लों में सक्रिय रहे। आखातीज पर घर-घर में खीचड़ा,इमलाणी और बड़ी सब्जी का उपयोग भोजन में हुआ।
हर छत से पतंगबाजी

आखातीज पर शहर में शुक्रवार को जमकर पतंगबाजी हुई। हर घर की छत पर पतंगबाजों की टोलिया मौजूद रही। सुबह से शाम तक पतंगबाजी का दौर चला। युवतियों और महिलाओं ने भी पतंगबाजी की। पतंगबाजी के दौरान भीषण गर्मी से बचाव के लिए कई जतन भी किए गए।
गूंजते रहे गीत और स्वर

आखातीज पर दिन भर चली पतंगबाजी के दौरान छतों पर लगाए गए स्पीकर, डीजे पर पारंपरिक पतंगबाजी और फिल्मी गीतों की गूंज रही। अनेक छतों पर माईक सेट भी लगाए गए थे। पतंगों के कटने और काटने के दौरान माईक से बोई काट्या, फेर उड़ा, आयग्यो-आयग्यो के स्वर गूंजते रहे।
छतों पर रौनक, सड़कें-बाजार सूने

आखातीज पर घरों की छतों पर सुबह से शाम तक रौनक रही। घर-परिवार के सदस्यों के साथ मित्र मंडली के सदस्यों की मौजूदगी रही। वहीं गली-मोहल्लों, मुख्य मार्गों, बाजारो में सन्नाटा की िस्थति रही। आखातीज के कारण अनेक दुकानें-प्रतिष्ठानों में अवकाश रखा गया। जिन बाजारों और मार्गों पर सुबह से रात तक चहल-पहल नजर आती है, वहां लोगों की आवाजाही लगभग नहीं के बराबर रही।
पतंग-मांझे की खरीदारी

आखातीज पर शहर में पतंग-मांझे की जमकर बिक्री हुई। गली-मोहल्लों से बाजारों और मुख्य मार्गों पर खुली अस्थाई पतंग-मांझे की दुकानों पर सुबह से शाम तक खरीदारी का क्रम चलता रहा। बच्चों से बुजुर्गों तक ने पतंग-मांझे की खरीदारी की।
सुबह खीचड़ा-इमलाणी, शाम को चंदलिया सब्जी का उपयोग

घर-घर में शुक्रवार को भी पारंपरिक रूप से भोजन में खीचड़ा, इमलाणी और बड़ी सब्जी का उपयोग भोजन में किया गया। घर-परिवार के सदस्यों ने सामूहिक रूप से खीचड़ा-इमलाणी का उपयोग किया। शाम को चंदलिया की सब्जी विशेष रूप से बनाई गई।
शंख, झालर, थाली की गूंज, हुई आतिशबाजी

नगर स्थापना दिवस पर हुई दो दिवसीय पतंगबाजी की समाप्ति पर नगरवासियों ने खुशियां मनाई। शाम को घरों की छतों पर शंख ध्वनि की गई। झालर और कांसी की थाली की झंकार गूंजती रही। अनेक घरों की छतों पर जमकर आतिशबाजी कर स्थापना दिवस की खुशियां प्रकट की गई।

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