से हो जाता है। तारबंदी के दूसरी तरफ पाकिस्तान में सन्नाटा पसरा है, वीराना छाया है। बस दिखती है तो दूर पाक की एक ओपी, जिसमें दो पाक रेंजर ही नजर आते हैं। वहीं भारतीय सीमा में तो तारबंदी के पास तक सरसों और चना की फसल लहलहा रही है। तारबंदी पर हर पांच सौ मीटर के फासले पर हमारे जवान मुस्तैद नजर आ रहे हैं।
गश्त करते बीएसएफ के जवान वॉचिंग टॉवर पर पाकिस्तान की तरफ नजर गड़ाए खड़े पाक की तरफ से होने वाली हर हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए मुस्तैद हैं। उनके हौसले की वजह सीमा से चंद कदम के फासले पर बसे गांवों के ग्रामीण भी है।
खाजूवाला से ३० किलोमीटर पश्चिम की तरफ अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से चंद मीटर के फासले पर बसे अलादीन गांव में पहुंचे तो एक घर के बाहर चौकी पर ग्रामीण बैठे मिले। बात पुलवामा में आतंकी हमले के बाद देश में हालात पर ही चल रही थी। गांव के उपसरपंच नत्थूसिंह बोलेे, जम्मू में जो हुआ उसका न्याय होना चाहिए। खून का बदला खून से ही हो। जवानों की जान लेने वाले कोई इंसान नहीं है, वो सिर्फ आतंकी है। हमें राइफल थमाओ तो बॉर्डर के सारे ग्रामीण सेना के साथ मिलकर लडऩे के लिए तैयार हैं।
गांव के शिक्षक राजेन्द्र आचार्य बोले सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अलादीन गांव, ४० केवाईडी, ३४ केवाईडी, १ एलएम, दो एलएम के ग्रामीणों ने मिलकर बीएसएफ के १५० जवानों को भोजन कराया था। यह है देश के प्रति बॉर्डर के लोगों का समर्पण। अब जब से पुलवामा में हमला हुआ है ग्रामीण खेतों से काम से लौटने के बाद अलादीन सहित आस-पास के सभी गांवों में एक जगह जुटते है। कैंडल मार्च निकालकर शहीदों को श्रद्धांजलि देने से लेकर पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश प्रदर्शन के कार्यक्रम हो रहे हैं।
वर्दी पहनंूगा, बॉर्डर पर ड्यूटी करूंगा
गांव के १२वीं के विद्यार्थी राधेश्याम से पुलवामा की बात की तो बोला सेना में भर्ती होकर आतंकियों को सबक सिखाऊंगा। उसके पास खड़े १०वीं में पढ़ रहे सुरेश ने भी कहा वर्दी पहनूंगा और राइफल उठाकर बॉर्डर पर ड्यूटी करूंगा। अलादीन गांव से ४० केवाईडी, एक व दो एलएम होते हुए बॉर्डर के कई अन्य गांवों में पहुंचे तो वहां भी भारतीय सेना के प्रति ग्रामीणों में सम्मान के साथ पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए हर कष्ट झेलने को तैयार दिखे।
अब देश को पाकिस्तान के आतंक के खिलाफ निर्णायक कदम उठाना चाहिए। हम सीमावर्ती लोग किसी भी हालात में पीछे नहीं हटेंगे, मुकाबला करेंगे। बॉर्डर पर तैनात बीएसएफ के साथ हम सीमा के पहरेदार के रूप में दिन-रात तैयार रहते हैं।
मांगीलाल, सरपंच ४० केवाईडी