बताते हैं कि खान ने माता के दर्शन के बाद चांदी का छत्र भी चढ़ाया। माता को रुमाल वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में पूजा-पाठ से लेकर व्यवस्थाओं का समूचा जिम्मा सीमा सुरक्षा बल के जवान और अधिकारी ही उठाए हुए है। विदित रहे कि तनोट को भाटी राजपूत राव तनुजी ने विक्रम संवत 1 787 को माघ पूणिमा के दिन बसाया था और यहां पर ताना माता का मंदिर बनवाया था, जो वर्तमान में तनोटराय मातेश्वरी के नाम से जाना जाता है।
पाकिस्तानी हमले में 4 पैरा बटालियन के तीन अधिकारी व 18 जवान शहीद हो गए। तब बाकी सैनिकों ने रास्ता बदलकर दुश्मन पर हमला किया और विजय हासिल की। बाद में फिर अदृश्य शक्ति की आवाज आने पर बटालियन के उच्चाधिकारियों ने यहां उसी स्थान पर शहीद स्मारक व मां दुर्गा का मंदिर बनवाया, जहां माइंस की चपेट में आकर जवान शहीद हुए थे। अब हर साल 28 दिसम्बर को यहां मेला भरता है, जिसमें शहीद सैनिकों के परिजन, सेना के अधिकारी व आसपास के लोग शामिल होते हैं।