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छह साल से 250 से अधिक शिक्षकों के बकाया है साढ़े 11 लाख रुपए

locationबीकानेरPublished: Jan 31, 2017 02:25:00 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

डूंगरपुर ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा, अधिकारियों ने बताया धत्ता, नहीं मिला महंगाई भत्ता

Six years, more than 250 outstanding teachers ½ Rs

Six years, more than 250 outstanding teachers ½ Rs 11 lakh

केन्द्र की तर्ज पर प्रदेश सरकार भी राज्यकर्मियों को समय-समय पर महंगाई भत्ता दे रही है, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते शिक्षा विभाग अन्तर्गत डूंगरपुर ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा कार्यालय के अधीन कार्मिकों के खाते में छह वर्ष बाद भी राशि जमा नहीं हो रही है। तबादलों के बाद एक के बाद एक अधिकारी बदलते गए, लेकिन शिक्षकों के बकाया साढ़े 11 लाख रुपए उनके खाते में जमा कराने की जहमत कोई नहीं उठा रहा है।
वर्ष 2010 में केन्द्र की तर्ज पर तत्कालीन प्रदेश सरकार ने राज्यकर्मियों के डीए बढ़ाकर 35 से 45 फीसदी किया था। इसमें जुलाई से सितम्बर 2010 तक बढ़े हुए डीए की राशि कार्मिकों के जीपीएफ खातों में जमा करने तथा अक्टूबर से निर्धारित वेतन के साथ देने के निर्देश दिए थे। डूंगरपुर ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा विभाग के तत्कालीन अधिकारियों की लापरवाही एवं जीपीएफ विभाग की सुस्ती से 796 नोन प्लान से जुड़े शिक्षकों की राशि जीपीएफ खातों में अब तक जमा नहीं हुई है। एक शिक्षक के खाते में यह करीब साढ़े चार हजार मय छह वर्ष के ब्याज सहित बनती है। इनकी संख्या 200 से 250 हैं।
विभाग जल्द कराए जमा


राजस्थान शिक्षक संघ, राष्ट्रीय के जिलाध्यक्ष ऋषिन चौबीसा ने कहा कि यह मामला संगठन के पास 2014 में सामने आया, तो अधिकारियों पर दबाव बनाकर दो बार बिल बनवाए। पर, अब तक यह राशि जमा नहीं हो पाई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। शिक्षकों को दोहरा नुकसान हो रहा है।
अधिकारी बोले


बीईईओ विक्रमसिंह अहाड़ा ने कहा कि मामला मेरे कार्यकाल का नहीं है। कोष एवं जीपीएफ कार्यालय से समन्वय कर इस माह के अंत तक राशि जमा कराने के पूरे प्रयास किए जाएंगे।
2014 में बने थे बिल


सरकार की घोषणा के बाद चार वर्ष तक खातों में राशि जमा नहीं होने पर शिक्षकों ने दबाव बनाया तो वर्ष 2014 में तत्कालीन ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने राशि जमा करने के संबंध में बिल बनाए थे। बिल पास भी हो गए। कोष कार्यालय से चैक भी प्राप्त हो गया, पर, बीईईओ कार्यालय ने 31 मार्च, 2014 तक चैक जमा नहीं करवाया। ऐसे में वित्तीय वर्ष समाप्ति के साथ ही चैक अवधिपार हो गया। अप्रेल 2014 में दोबारा चैक बने, पर, 796 नोन प्लान के शिक्षक वंचित रह गए। इनमें भी इस प्लान के पदोन्नत होने वाले शिक्षकों के तो राशि के अते-पते ही नहीं हैं। पदोन्नति के बाद वह शिक्षक माध्यमिक सेटअप में चले गए। ऐसे में उनकी आईडी स्थानांतरित होने से यह राशि कोष, बीईईओ, जीपीएफ एवं माध्यमिक चार विभागों के तालमेल के अभाव में ही खोई हुई है। हालांकि, बीच में सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों के बिल बनाकर थोड़ी-थोड़ी राशि जरूर जमा करवाई।
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