scriptआज देश में विश्वास की दरकार | Today the need of faith in the country | Patrika News

आज देश में विश्वास की दरकार

locationबीकानेरPublished: Mar 10, 2019 12:54:06 pm

Submitted by:

Jai Prakash Gahlot

बीकानेर देश में आज सबसे बड़ा संकट विश्वसनीयता का होता जा रहा है। इस देश में संवाद कभी नहीं रुक सकता, आज देश में विश्वास की दरकार है। कुछ इस तरह के विचार शनिवार को प्रबुद्धजनों के बीच से निकलकर आए।

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बीकानेर देश में आज सबसे बड़ा संकट विश्वसनीयता का होता जा रहा है। इस देश में संवाद कभी नहीं रुक सकता, आज देश में विश्वास की दरकार है। कुछ इस तरह के विचार शनिवार को प्रबुद्धजनों के बीच से निकलकर आए। अवसर था ‘पधारो बीकानेर, बिराजो म्हारे पाटे परÓ सम्मेलन के आगाज का। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की तर्ज पर होटल नरेन्द्र भवन में शनिवार को शुरू हुए सम्मेलन में पहले दिन दो सत्र हुए।
पहले सत्र में पूर्व राजदूत पवन के. वर्मा की पुस्तक ‘आदि गुरु शंकराचार्यÓ का लोकर्पण किया गया। साथ ही पुस्तक पर साहित्यकार नंदकिशोर आचार्य और पवन के. वर्मा ने विचार-विमर्श किया। इस दौरान संवित सोमगिरी महाराज ने श्रुति, युक्ति और अनुभूति तीनों का समावेश बनाए रखने की बात कही। डॉ. नंदकिशोर आचार्य ने कहा कि पुस्तक सम्प्रेष्णीय है। संयोजक अनिल गुप्ता ने बताया कि रविवार को होटल गज केसरी में बीकानेर के पर्यटन विषय पर समूह चर्चा होगी। समूह चर्चा के अंत में सुनील रामपुरिया ने अभार जताया।
प्रसिद्ध है बीकानेर की पाटा संस्कृति
शाम के सत्र में ‘भारत में आम चुनाव के मुद्दे और चुनौतियांÓ विषय पर समूह चर्चा हुई। पूर्व मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि जो वर्ग देश की वर्तमान परिस्थितियों को लेकर चिन्तित है, वो चिन्ता तो ३० साल पहले होनी चाहिए थी, क्योंकि इन परिस्थितियों के बीज तीस साल पहले की बोए जा चुके थे। उन्होंने कहा कि किसी भी नेतृत्व का आकलन भीड़ से नहीं करना चाहिए। पवन के. वर्मा ने कहा कि बीकानेर के पाटों पर खुली चर्चा होती है, इससे सुखद अनुभूति होती है। गजेन्द्र सिंह सांखला ने कहा कि पिछले पांच साल के शासन में देश में भय सा माहौल बना है। आज जनता की जरूरतों पर मंथन करना चाहिए। संयोजक अनिल गुप्ता ने कहा कि समस्याओं का समाधान संवाद से होता है, न कि विवाद से। बीकानेर की पाटा संस्कृति इसके लिए प्रसिद्ध है। समूह चर्चा का संयोजन करते हुए अनिरुद्ध उमट ने कहा कि अहिंसा और करुणा के माध्यम से आत्मुक्त संवाद होना चाहिए।
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