ढाई हजार में बन रहा ड्राइविंग लाइसेंस
सरकार ने लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 350 रुपए और परमानेंट लाइसेंस के लिए 1000 रुपए शुल्क तय किया है। विभाग में दलाल यह काम 3500 से 4000 रुपए तक लेकर करा रहे हैं। इसके साथ ही ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस रिन्यूअल का 400 रुपए शुल्क है जबकि दलाल मनमर्जी से वसूल कर रहे हैं। कार्यालय में घूम रहे एक दलाल प्रभुत्व (बदला हुआ नाम) ने बताया कि बस दस्तावेज देने होंगे, लाइसेंस घर पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है।
वाहन हस्तांतरण के लिए एक हजार की वसूली
वाहन को हस्तांतरण कराने के लिए भी दलालों ने रेट तय किए हुए हैं। परिवहन कार्यालय के बाहर छोटे-छोटे काउंटर लगाकर दलाल बैठे रहते हैं। उपभोक्ताओं को ठगने का पूरा खेल चलता है। जिन कामों के लिए आवेदक एक-एक महीने तक भटकते हैं, वे काम दलाल आसानी से कुछ दिनों में कराने का दावा करते हैं। हमने एक और दलाल सूजल (बदला हुआ नाम) से वाहन हस्तांतरण को लेकर बात की तो उसने बताया कि जहां से गाड़ी हस्तांतरण होनी है, वहां की एनओसी और अन्य दस्तावेज के साथ 2500 रुपए में यह काम सात दिन में हो जाएगा। जबकि सरकार ने हर वाहन के डेढ़ सौ रुपए से लेकर 750 रुपए तक शुल्क तय कर रखा है।
फिटनेस में भी चल रहा खेल
आरटीओ कार्यालय में रोज करीब 70 से अधिक वाहन फिटनेस के लिए पहुंचते हैं। सरकार ने आठ वर्ष पूर्ण नहीं करने वाले वाहनों के फिटनेस के लिए 600 और 1500 ग्रीन टैक्स निर्धारित कर रखा है। आठ वर्ष बाद वाले वाहनों में 600 और 200 ग्रीन टैक्स निर्धारित है लेकिन दलाल 2000 से 3000 रुपए तक की वसूल कर रहे हैं।
आरटीओ कार्यालय में रोज करीब 70 से अधिक वाहन फिटनेस के लिए पहुंचते हैं। सरकार ने आठ वर्ष पूर्ण नहीं करने वाले वाहनों के फिटनेस के लिए 600 और 1500 ग्रीन टैक्स निर्धारित कर रखा है। आठ वर्ष बाद वाले वाहनों में 600 और 200 ग्रीन टैक्स निर्धारित है लेकिन दलाल 2000 से 3000 रुपए तक की वसूल कर रहे हैं।
जांच कराई जाएगी
परिवहन विभाग की सभी योजनाएं ऑनलाइन चल रही हैं। आवेदक बाहर से ऑनलाइन आवेदन करते हैं। इसके बाद तय प्रक्रिया के तहत पूरा काम होता है। दलालों का प्रवेश कार्यालय में बंद है। अगर ऐसा हो रहा है तो जांच कराई जाएगी। साथ ही सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नेमीचंद पारीक, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी बीकानेर
जटिल प्रक्रिया बन रही आफत
प्रदेश सरकार ने परिवहन विभाग की सेवाएं ऑनलाइन भले ही कर दी हैं लेकिन विभाग में होने वाले तमाम आवेदन पत्र में काफी जटिलताएं हैं। हालात यह हैं कि ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस से लेकर वाहन नवीनीकरण कराने का आवेदन पत्र आवेदक खुद भर नहीं सकते। इसके चलते आवेदकों को दलालों की शरण लेनी पड़ती है।
प्रदेश सरकार ने परिवहन विभाग की सेवाएं ऑनलाइन भले ही कर दी हैं लेकिन विभाग में होने वाले तमाम आवेदन पत्र में काफी जटिलताएं हैं। हालात यह हैं कि ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस से लेकर वाहन नवीनीकरण कराने का आवेदन पत्र आवेदक खुद भर नहीं सकते। इसके चलते आवेदकों को दलालों की शरण लेनी पड़ती है।
यह है समस्या की जड़
विभाग के अंदर कुछ स्थायी-अस्थायी कार्मिक भी एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं।जो डीलरों, फाइनेंसर आदि से कागजात संग्रहण कर हाथों हाथ कागजात पूर्ण करवाने का दावा करते हैं। ऐसे लोग अवकाश के दिन भी कार्यालय में सक्रिय रहते हैं। विदित रहे कि आजकल सभी दस्तावेज ईमित्र कियोस्क पर ही अपलोड किए जाते हैं और फीस जमा होती हैं। विभाग में केवल स्कूटनी व अप्रूव्ल का काम ही होता हैं।
विभाग के अंदर कुछ स्थायी-अस्थायी कार्मिक भी एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं।जो डीलरों, फाइनेंसर आदि से कागजात संग्रहण कर हाथों हाथ कागजात पूर्ण करवाने का दावा करते हैं। ऐसे लोग अवकाश के दिन भी कार्यालय में सक्रिय रहते हैं। विदित रहे कि आजकल सभी दस्तावेज ईमित्र कियोस्क पर ही अपलोड किए जाते हैं और फीस जमा होती हैं। विभाग में केवल स्कूटनी व अप्रूव्ल का काम ही होता हैं।