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बीकानेर

जीवंत हुई बीकानेर की उस्ता कला की बारीकियां

बीकानेर की धीरे-धीरे विलुप्त होती उस्ता कला को जीवंत करने का
बीडा फाइन आर्ट के छात्र रामकुमार और कमल किशोर जोशी ने उठाया है

बीकानेरApr 03, 2016 / 01:36 am

शंकर शर्मा

Bikaner photo

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जयभगवान उपाध्याय
बीकानेर. बीकानेर की धीरे-धीरे विलुप्त होती उस्ता कला को जीवंत करने का बीडा फाइन आर्ट के छात्र रामकुमार और कमल किशोर जोशी ने उठाया है। ये दोनों छात्र पिछले एक वर्ष से लखोटियों का चौक स्थित 500 साल पुराने भगवान नृसिंह मंदिर में इस कला को इस बारीकी से उकेर रहे हैं इसे देखने के लिए आस-पास के ही नहीं पर्यटक भी काफी उत्सकुता से पहुंच रहे हैं।

छात्रों ने बताया कि उस्ता कला का काम काफी बारीकी से किया जाता है। इसे सुनहरी कलम का काम भी कहा जाता है। बीकानेर में ऊंट की खाल पर स्वर्ण मीनाकारी और मुनव्वत के कार्य को भी उस्ता कला कहा जाता है।
उस्ता कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियां देश में ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध हंै। इसमें ऊंट की खाल से बनी कुप्पियों पर दुर्लभ स्वर्ण मीनाकारी का कलात्मक कार्य किया जाता है, जो अत्यंत आकर्षक एवं मनमोहक होता है।

यहां भी दिखाई कला
छात्र रामकुमार और कमल किशोर की मानें तो उन्होंने आसानियों के चौक में गोरधनदास मंदिर, तोलियासर भैरूजी मंदिर, मरूनायक मंदिर, जनेश्वर महादेव मंदिर, रघुनाथसर मंदिर, पूनरासर मंदिर सहित दो दर्जन से अधिक मंदिरों में इस प्रकार की कलाकृति को उकेरने का कार्य किया है।

500 साल पुराना है भगवान नृसिंह मंदिर
20 लाख रुपए की
आएगी लागत
3000 रुपए वर्ग फीट आता है खर्चा
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