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सावधान! नलों से टपक सकते हैं वायरस-बैक्टीरिया

locationबीकानेरPublished: Aug 19, 2022 04:14:45 pm

Submitted by:

Ashish Joshi

महामारी फैला सकती है अस्पतालों की लापरवाही : सीवरेज में बहाया जा रहा है लिक्विड बायो मेडिकल वेस्ट
अलार्म : इस खतरे की ओर किसी का ध्यान नहीं

 ऑपरेशन ​थियेटर के बाहर ​बायोवेस्ट कंटेनर में से बहता लि​क्विड वेस्ट।

सावधान! नलों से टपक सकते हैं वायरस-बैक्टीरिया

-आशीष जोशी

बीकानेर. कोरोना जैसी गंभीर महामारी के बाद भी अस्पताल जानलेवा लापरवाही बरत रहे हैं। बीकानेर में अस्पतालों की बेपरवाही कभी भी बड़ी महामारी का कारण बन सकती है। अस्पताल बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर थोड़े गंभीर हुए, लेकिन बायो लिक्विड वेस्ट को लेकर खुलेआम कोताही बरत रहे हैं। ऑपरेशन थियेटर से निकलने वाले संक्रामक लिक्विड वेस्ट को सीवरेज में बहाया जा रहा है। संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल में भी ऐसे ही हाल हैं। पत्रिका ने लगातार तीन दिन तक शहर के अस्पतालों में बायो लिक्विड वेस्ट के निस्तारण की पड़ताल की, तो चिंताजनक तस्वीर उभर कर आई। गुरुवार को भी पीबीएम अस्पताल के ओटी से रक्त और अन्य लिक्विड वेस्ट सीवरेज की हौदियों में बहता नजर आया। कई हौदियों में तो गलव्ज, बायो वेस्ट की थैलियां, गॉज पट्टी तक तैरती दिखीं। यहां ओटी के बाहर कचरा पात्र में से लिक्विड वेस्ट का रिसाव हो रहा था, जो नाली में बहकर सीवरेज में घुल रहा था। इस खतरनाक प्रदूषण की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा। शहर के अधिकांश अस्पतालों में लिक्विड बायोमेडिकल वेस्ट को बगैर निस्तारित किए ही सीवरेज में बहाया जा रहा है। इस खतरनाक लिक्विड वेस्ट का उचित निस्तारण नहीं करने पर एनवायर्नमेंट प्रोटेक्शन एक्ट के तहत प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से कार्रवाई का प्रावधान है, लेकिन अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
बड़ा खतरा इसलिए

– शहर के कई इलाकों में सीवरेज का दूषित पानी पेयजल की लाइनों में घुल कर घरों में पहुंच रहा है। आए दिन इस तरह की शिकायतें आती हैं।

– कई वार्डों में नालियों में से पानी की पाइप लाइन जा रही है।
– परकोटे के अंदर की सीवर लाइन करीब चार दशक पुरानी है।

– सीवरेज लाइन में लीकेज से सीवर का पानी ही नहीं, बायो लिक्विड वेस्ट के साथ खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस भी घरों तक पहुंच सकते हैं।
न निगम गंभीर न जलदाय विभाग

सीवरेज और पेयजल लाइन में लीकेज को लेकर अलग-अलग इलाकों से आए दिन शिकायतें आती हैं, लेकिन नगर निगम और जलदाय विभाग ने कभी इस संबंध में जॉइंट सर्वे नहीं किया। जबकि जोधपुर नगर निगम ने अर्से पहले एक विशेष प्रोजेक्ट के तहत पॉल्यूशन एंड लिंकिंग पाइप लाइन का सर्वे किया था। इसमें तीन सौ से अधिक ऐसे पॉइंट चिन्हित किए गए, जहां आए दिन सीवरेज का दूषित पानी पेयजल की लाइनों में घुल कर घरों के नलों से टपक रहा था।
ये हैं प्रावधान

हर अस्पताल में लिक्विड बायोमेडिकल वेस्ट के लिए टैंक होना चाहिए, जिसमें लिक्विड वेस्ट एकत्रित कर उसमें हाइपर क्लोराइड डाल कर निष्क्रिय करना जरूरी है। इसके बाद ही इसे अन्य किसी इंसीनरेटर में नष्ट करना होता है।
नगर निगम ने कभी नहीं की कार्रवाई

बायो मेडिकल वेस्ट (हैंडलिंग एण्ड मैनेजमेंट) रूल्स में प्रावधान है कि अस्पतालों के लिक्विड वेस्ट को नगर निगम की सीवर लाइनों में डालने से पहले मानकों का ध्यान रखना जरूरी है। यदि निर्धारित मानकों से ज्यादा दूषित लिक्विड वेस्ट सीवर लाइन में डाला जाता है, तो परीक्षण के बाद नियमों की अवहेलना का मामला बनाया जा सकता है, लेकिन निगम ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की।
क्या हैं मानक

– बायो लिक्विड वेस्ट की सीवर लाइनों में निकासी तब ही संभव है, जब वेस्ट मानकों के अनुरूप हों।

– लिक्विड वेस्ट का पीएच 6.5 से 90 हो।

– सस्पेंडेड सॉलिड 100 मिलीग्राम प्रति लीटर एवं ग्रीस 10 मिग्रा प्रति लीटर।
-बीओडी 30 मिग्रा प्रति लीटर तथा सीओडी 250 मिग्रा प्रति लीटर होनी चाहिए।

-बायो-मूल्यांकन में यह देखा जाएगा कि प्रदूषित पानी में 90 प्रतिशत मछलियां 96 घंटों तक जीवित रहनी चाहिए।

जांच करवाएंगे
बीकानेर के करीब ढाई सौ अस्पताल बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण की व्यवस्था में कवर्ड हैं। सॉलिड मेडिकल वेस्ट का समुचित निस्तारण हो रहा है। लिक्विड वेस्ट को लेकर यदि कोताही बरती जा रही है, तो जांच करवाता हूं।
– प्रदीप आसनानी, क्षेत्रीय अधिकारी, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल, बीकानेर

सीवर में बहाना बिल्कुल गलत

बायो लिक्विड वेस्ट को सीवरेज या नाली में बहाना बिल्कुल गलत है। इस संबंध में अस्पताल अधीक्षक से बात करूंगा। मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अनुसार जल्द ही पीबीएम अस्पताल में एसटीपी स्थापित होगा, जहां सभी तरह का बायो वेस्ट निस्तारित होगा। इसके बाद इसकी आइसोलेट व्यवस्था हो जाएगी।
– डॉ. मोहम्मद सलीम, प्राचार्य, एसपी मेडिकल कॉलेज

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