इसके बाद इन प्रमुख मुद्दों के जमीनी हालात में कोई बदलाव आया या नहीं, इसकी पड़ताल ‘राजस्थान पत्रिकाÓ ने शुरू की है। अब तक सफाई व्यवस्था, देर रात शराब बिक्री, हेरिटेज वॉक और सरकारी कार्यालयों में व्याप्त ढर्रे की पड़ताल करने के बाद आज छठी कड़ी में संभाग के सबसे बड़ी पीबीएम अस्पताल की बदहाली पर रिपोर्ट-
संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल के हालात किसी बीमारू अस्पताल से कम नहीं दिखते हैं। अस्पताल की सफाई और बदहाली को देखकर किसी गांव की डिस्पेंसरी का नजारा आंखों के सामने आ जाता है। यहां व्यवस्था में सुधार के लिए कलक्टर गौतम ने पदभार संभालते ही निरीक्षण किया था।
उन्होंने अस्पताल अधीक्षक और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को व्यवस्था सुधार के निर्देश दिए, लेकिन कुछ दिन बाद हालात वही ढाक के तीन पात हो गए।
हालत यह है कि अस्पताल में घुसते ही सड़ांध आने लगती है। वार्डों और शौचालयों गंदगी फैली रहती है। अस्पताल में मरीजोंं के बैठने की पर्याप्त जगह नहीं होना, बदबू मारते महिला और पुरुष शौचालय मानो चिकित्सा प्रशासन को मुंह चिढ़ा रहे हों। अस्पताल में मरीजों को पर्याप्त दवाइयां नहीं मिल रही, पेंशनभोगी रोगियों को एक से दूसरी दुकान तक भटकना पड़ता है, घंटों कतार में खड़े होने के बावजूद आधी दवाइयां मिलती है।
कई दिनों के इंतजार के बाद भी रोगियों का ऑपरेशन नहीं होता है। सोनोग्राफी और एक्स-रे के लिए यहां रात को लगने वाली मरीजों की लम्बी कतार देखकर यहां के प्रशासन की अनदेखी का अंदाजा लगाया जा सकता है। एक्स-रे और सोनोग्राफी मशीनों की खराब हालत देखकर मरीजों को किसी डिस्पेंसरी का नजारा दिखाई देता है। यहां पहुंचने वाले मरीजों की जुबां पर एक ही बात होती है, पीबीएम अस्पताल का भगवान ही मालिक है।