पर्यावरण दिवस बीकानेर के उपनगरीय क्षेत्र गंगाशहर-भीनासर की गोचर भूमि में महिलाएं पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने सिर पर पानी का घड़ा लेकर निकल पड़ती है। बिना किसी शोर-शराबे के ये महिलाएं पीढिय़ों से गोचर भूमि में पशुओं के लिए बनी खेळियों और पक्षियों के लिए रखे पाळसियों में पानी डालने का उपक्रम हर वर्ष वैशाख महीने में शुरू होता है जो करीब तीन महीनों तक मानसून की बरसात शुरू नहीं होने तक जारी रहता है। फोटो नौशाद अली।
पर्यावरण दिवस बीकानेर के उपनगरीय क्षेत्र गंगाशहर-भीनासर की गोचर भूमि में महिलाएं पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने सिर पर पानी का घड़ा लेकर निकल पड़ती है। बिना किसी शोर-शराबे के ये महिलाएं पीढिय़ों से गोचर भूमि में पशुओं के लिए बनी खेळियों और पक्षियों के लिए रखे पाळसियों में पानी डालने का उपक्रम हर वर्ष वैशाख महीने में शुरू होता है जो करीब तीन महीनों तक मानसून की बरसात शुरू नहीं होने तक जारी रहता है। फोटो नौशाद अली।
पर्यावरण दिवस बीकानेर के उपनगरीय क्षेत्र गंगाशहर-भीनासर की गोचर भूमि में महिलाएं पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने सिर पर पानी का घड़ा लेकर निकल पड़ती है। बिना किसी शोर-शराबे के ये महिलाएं पीढिय़ों से गोचर भूमि में पशुओं के लिए बनी खेळियों और पक्षियों के लिए रखे पाळसियों में पानी डालने का उपक्रम हर वर्ष वैशाख महीने में शुरू होता है जो करीब तीन महीनों तक मानसून की बरसात शुरू नहीं होने तक जारी रहता है। फोटो नौशाद अली।
पर्यावरण दिवस बीकानेर के उपनगरीय क्षेत्र गंगाशहर-भीनासर की गोचर भूमि में महिलाएं पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने सिर पर पानी का घड़ा लेकर निकल पड़ती है। बिना किसी शोर-शराबे के ये महिलाएं पीढिय़ों से गोचर भूमि में पशुओं के लिए बनी खेळियों और पक्षियों के लिए रखे पाळसियों में पानी डालने का उपक्रम हर वर्ष वैशाख महीने में शुरू होता है जो करीब तीन महीनों तक मानसून की बरसात शुरू नहीं होने तक जारी रहता है। फोटो नौशाद अली।