यह परीक्षक कम से कम तीन साल के लिए बोर्ड परीक्षाओं की कॉपियां नहीं जांच पाएंगे। दूसरी ओर इस साल नए परीक्षकों के लिए उत्तरपुस्तिकाएं जांचना खासी मुश्किलों वाला काम साबित हो रहा है।
बोर्ड की सीनियर सैकंडरी और सैकंडरी परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं की जांच का जिम्मा प्रदेश के लगभग 25 हजार परीक्षकों को सौंपा जाता है। प्रत्येक परीक्षक 500 से एक हजार तक कॉपियों का मूल्यांकन करते हैं। बोर्ड परीक्षकों को इसके लिए प्रति उत्तरपुस्तिका 13 से 15 रुपए भुगतान भी करता है।
संवीक्षा में खुली पोल परीक्षा परिणाम के बाद परीक्षार्थियों को उनकी उत्तरपुस्तिकाओं की प्रति देने का प्रावधान है। हालाकि इसके लिए परीक्षार्थियों को शुल्क जमा कराकर संवीक्षा के लिए आवेदन करना होता है। पिछले वर्ष परिणाम से असंतुष्ट लगभग डेढ़ लाख परीक्षार्थियों ने उत्तरपुस्तिकाओं की संवीक्षा और प्रतिलिपि के लिए आवेदन किया था। बोर्ड की ओर से उत्तरपुस्तिकाओं की संवीक्षा (री-टोटलिंग ) कराई गई तो लगभग 14- 15 हजार परीक्षर्थियों के अंकों में बढ़ोतरी हो गई।
11 अंक या अधिक पर कार्रवाई बोर्ड की ओर से किसी उत्तरपुस्तिका की संवीक्षा में 11 अथवा उससे अधिक अंक बढ़ते हैं तो संबंधित परीक्षक को तीन वर्ष के लिए डिबार कर दिया जाता है। इसी वजह से इस साल महज 600 परीक्षकों को ही उत्तरपुस्तिका जांचने के कार्य से बाहर किया गया है।
नए परीक्षकों से परेशानी बोर्ड ने परिणाम समय पर निकालने के लिए इस साल नए परीक्षकों को भी उत्तरपुस्तिका जांचने का जिम्मा सौंपा है। दरअसल राज्य सरकार ने सभी सरकारी व्याख्याताओं को बोर्ड कॉपियां जांचना अनिवार्य कर दिया है।
बोर्ड ने राज्य सरकार की वेबसाइट शाला दर्पण से सभी सरकारी व्याख्याताओं की सूची निकालकर उन्हें कॉपियां जांचने का काम सौंप दिया। इनमें से अधिकांश को बोर्ड प्रक्रिया के तहत कॉपियां जांचने का अनुभव नहीं है।
हालाकि बोर्ड की ओर से कॉपियों के साथ उत्तरकुंजी और अंक देने की प्रक्रिया का विस्तृत दिशा-निर्देश भी भेजे जाते हैं। जानकारी के अनुसार कई परीक्षकों को अंक प्रक्रिया का कार्य काफी जटिल लग रहा है और वे अक्सर बोर्ड अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं।
उत्तरपुस्तिकाएं जांचने के कार्य में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती । बोर्ड ने पिछले साल लापरवाही बरतने वाले परीक्षकों को डिबार किया है। उनसे संवीक्षा शुल्क वसूल कर परीक्षार्थियों को लौटाया है। परीक्षार्थियों की मेहनत से कोई समझौता नहीं होगा।
-प्रो. बी. एल. चौधरी, अध्यक्ष माशिबो राजस्थान