इस मामले में याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ठाकुर के अधिवक्ता देवर्षी ठाकुर ने बताया कि हाईकोर्ट की ओर से दिए गए सीबीआई जांच के आदेश के बाद शासन ने पुनर्विचार याचिका लगाई थी। इसमें ये दलील दी गई थी कि याचिकाकर्ता की ओर से जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे वो फर्जी हैं, इसके अलावा इस मामले के जंाच के लिए राज्य शासन स्वयं तत्पर है। इसके अलावा अन्य दलील और सवाल भी उठाए गए थे। सारे पक्ष को सुनने के बाद जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस पार्थ प्रीतम साहू की डबल बेंच ने राज्य शासन की याचिका को खारिज कर दिया।
तीन बार दिया गया मौका
कोर्ट की ओर पुनर्विचार याचिका को लेकर जो फैसला आया है उसमें ये कहा गया है कि इनको एक नहीं तीन बार मौका दिया गया था। कोर्ट की फटकार पडऩे के बाद चीफ सेक्रेटरी का एफेडेविट आया था जिसमें ये माना गया है कि बहु सारी अनियमितताएं हुईं हैं7 कई सारे नोटिस हुए हैं। कोर्ट ने 30 जुलाई के आर्डर में ये प्रमुख रूप से आदेश दिया था कि इस मामले में आप किन लोगों को जिम्मेदार मान रहे हैं, इसके बाद भी राज्य शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद कोर्ट ने सीबीआई को एफआईआरदर्ज करने का आदेश दिया।
कोर्ट की ओर पुनर्विचार याचिका को लेकर जो फैसला आया है उसमें ये कहा गया है कि इनको एक नहीं तीन बार मौका दिया गया था। कोर्ट की फटकार पडऩे के बाद चीफ सेक्रेटरी का एफेडेविट आया था जिसमें ये माना गया है कि बहु सारी अनियमितताएं हुईं हैं7 कई सारे नोटिस हुए हैं। कोर्ट ने 30 जुलाई के आर्डर में ये प्रमुख रूप से आदेश दिया था कि इस मामले में आप किन लोगों को जिम्मेदार मान रहे हैं, इसके बाद भी राज्य शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद कोर्ट ने सीबीआई को एफआईआरदर्ज करने का आदेश दिया।
सोच से ज्याद लोग आएंगे सामने, कई योजना है शामिल
याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ठाकुर के अधिवक्ता देवर्षी ठाकुर का कहना है कि कोर्ट के फैसले के बाद अब सीबीआई जांच गति पकड़ेगी। ठाकुर का कहना है कि हमार काम था कि प्रथम दृष्टया जो अपराध हुआ है उसे कोर्ट के संज्ञान में लाना और कोर्ट ने इसे प्रमुखता से लिया। हमारी सोच से ज्यादा लोगों के नाम सामने आ रहे हैं। कई योजनाएं इस जांच के दायरे में आ रहीं हैं। ये जो गड़बड़ी की गई है वो केंद्र सरकार की योजनाओं में किया गया है।
याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ठाकुर के अधिवक्ता देवर्षी ठाकुर का कहना है कि कोर्ट के फैसले के बाद अब सीबीआई जांच गति पकड़ेगी। ठाकुर का कहना है कि हमार काम था कि प्रथम दृष्टया जो अपराध हुआ है उसे कोर्ट के संज्ञान में लाना और कोर्ट ने इसे प्रमुखता से लिया। हमारी सोच से ज्यादा लोगों के नाम सामने आ रहे हैं। कई योजनाएं इस जांच के दायरे में आ रहीं हैं। ये जो गड़बड़ी की गई है वो केंद्र सरकार की योजनाओं में किया गया है।
शासन की दलील 0. सीबीआई जांच का आदेश देने की जरूरत नहीं थी, राज्य शासन इंक्वायरी के लिए सक्षम था
0. सिंपल याचिका को पीआईएल में बदल दिया गया ये गलत है 0. फर्जी दस्तावेज के आधार पर ये याचिका लगाई गई
0. सिंपल याचिका को पीआईएल में बदल दिया गया ये गलत है 0. फर्जी दस्तावेज के आधार पर ये याचिका लगाई गई
क्या कहा कोर्ट ने
0. जब डब्ल्यूपीसीआर फाइल हुई थी तो आप भी मौजूद थे तब राज्य शासन ने कोई आपत्ति नहीं की, पूरी पीआईएल पर सुनवाई चलती रही तब भी सिंगल बेंच के फैसले को लेकर कोई आपत्ति नहीं हुई।
0. जब डब्ल्यूपीसीआर फाइल हुई थी तो आप भी मौजूद थे तब राज्य शासन ने कोई आपत्ति नहीं की, पूरी पीआईएल पर सुनवाई चलती रही तब भी सिंगल बेंच के फैसले को लेकर कोई आपत्ति नहीं हुई।
0. 30 जून 2018 को चीफ सेक्रेटरी को स्वतंत्र जांच के लिए कहा गया था, उसमें लिखा गया था कि आप किसको रिस्पांसबल बना रहे हो, इसके बाद भी आपने कुछ नहीं बताया।
0. इसमें जो लोग शामिल हैं वो राज्य शासन के लोग हैं फिर आज जांच कैसे करोगे।
0. इसमें जो लोग शामिल हैं वो राज्य शासन के लोग हैं फिर आज जांच कैसे करोगे।