चित्रकांत जायसवाल की पत्नी सरला जायसवाल ने बताया कि वे देश की आजादी के लिए प्राण न्योछावर करने का संकल्प ले चुके थे। उन्होंने प्रण लिया था कि जब तक देश आजाद नहीं होता तब तक वे अपना बाल नहीं कटवाएंगे। इस दौरान उनके बाल बहुत बड़े हो गए थे(15 august 2019)। उन्हें पढऩे का बहुत शौक था। पढ़ाई के साथ-साथ घर-परिवार चलाने के लिए अपना खुद का व्यवसाय भी संभालते थे। एक बार पीएससी के चेयरमैन भरतचंद काबरा ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को मिलने वाली पेंशन के बारे में पूछा। उन्होंने यह कहकर टाल दिया और कहा कि मैं पैसे के लिए आजादी की लड़ाई में शामिल नहीं हुआ था और न ही मुझे पेंशन चाहिए। फिर भी भरतचंद काबरा ने उन्हें सरकार की तरफ से मिलने वाले पेंशन की राशि नियमित कराई।
चित्रकांत जायसवाल के भतीजे सतीश जायसवाल ने बताया कि हमारा पुश्तौनी व्यवसाय शराब का था। एक बार चाचा ने पिताजी से कहा कि इस घर में शराब का धंधा होगा या फिर आजादी का आंदोलन। उस समय पिताजी ने उनकी बात को टाल दिया। चाचा को लगा कि बड़े भाई मेरी बातों को नहीं मानेंगे। सुबह होते ही उन्होंने नहा-धोकर पिताजी का चरण स्पर्श किया। इस पर पिताजी ने चौकते हुए पूछा कि क्या बात हैं आज यह सब क्यों। इस पर चाचा ने जवाब देते हुए कहा कि मैं आपके खिलाफ अनशन करने वाला हंू। छोटे भाई की इस बर्ताव का मतलब पिताजी समझ गए थे। उनहोंने कहा कि मैंने सारे शराब के ठेके रात में ही बंद करवा दिया हैं। अब इस घर से ही आजादी का आंदोलन का आगाज होगा। उसके बाद पिताजी ने शराब दुकान की जगह जायसवाल पुस्तक भंडार का व्यवसाय प्रारंभ कर दिया।
चित्रकांत जायसवाल, रोहणी बाजपेई व दयाशंकर दुबे स्कूल के दौरान ही अच्छे दोस्त बन गए थे। आजादी के आंदोलन(freedom fighter) में वरिष्ठों में डॉ. देवरस व पं. शिव दुलारे मिश्र भी शामिल थे। तीनों की तिकड़ी के चर्चा शहर से आसपास के क्षेत्रों में काफी प्रसिद्ध था। जिससे इन लोगों का नाम थ्री मस्केटीयर पड़ गया। जिसका हिन्दी में (15 august 2019)महान तलवारबाज कहा जाता है।