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प्रैक्टिकल के लिए नहीं मिल रही डेड बॉडी, एक बॉडी पर 60 छात्र कर रहे हैं रिसर्च

locationबिलासपुरPublished: Aug 25, 2019 11:37:43 am

Submitted by:

Murari Soni

180 सीट पर 18 मृत देह की हर साल आवश्यकता

प्रैक्टिकल के लिए नहीं मिल रही डेड बॉडी, एक बॉडी पर 60 छात्र कर रहे हैं रिसर्च

प्रैक्टिकल के लिए नहीं मिल रही डेड बॉडी, एक बॉडी पर 60 छात्र कर रहे हैं रिसर्च

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) को छात्रों के प्रैक्टिकल के लिए मृत शरीर नहीं मिल रहा है। इससे एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए समस्याएं खड़ी हो रही है। एनाटॉमी विभाग में मृत देह से पूरे मानव शरीर का अध्ययन किया जाता है और इसी से शरीर के विभिन्न अंगों और उनमें होने वाले रोग व ऑपरेशन का ज्ञान मिलता है। सिम्स के एनाटॅामी विभाग की मीटिंग में मृत शरीर की कमी का मामला हर बार उठता है। लेकिन इसका कोई समाधान नहीं निकल पा रहा है। हालत यह है कि 100 छात्र थे तभी 3 शव से रिसर्च हो रहा था 150 हो गए तो भी वहीं स्थिति रही अब 180 होने पर भी तीन ही शव पर रिसर्च किया जाएगा।
सिम्स में एमबीबीएस की 180 सीटों पर पढ़ाई कर रहे छात्रों को पढ़ाई करने के लिए हर साल 18 मानव शरीर की आवश्यकता होती है। एमसीआई के मापदण्ड के अनुसार एक शरीर पर 10 छात्रों को पढ़ाई करना है। लेकिन मृत देह की कमी की वजह से एक बाड़ी पर 60 छात्रों द्वारा पढ़ाई किया जा रहा है। वर्तमान में सिम्स में तीन बॉडी है। इसमें 180 छात्रों को पढ़ाई कराने की तैयारी है। इससे प्रैक्टिस करने वाले छात्रों को अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। छात्र इससे संतुष्ट नहीं है। वे सिम्स प्रबंधन से बॉडी बढ़ाने की लगातार मांग कर रहे हैं। इसकी जानकारी डीएमई और स्वास्थ्य मंत्री को दी जा चुकी है, लेकिन समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है। एनाटॉमी विभाग के प्रभारी एसएस श्रीवास्तव ने बताया बॉडी की कमी इसी तरह से बनी रही तो एक दिन हालत ऐसी हो जाएगी कि छात्रों को किताबों में बने चित्र या डमी से ही पढ़ाई करना पड़ सकता है।
लावारिश लाश नहीं मिल रहा
सिम्स व जिला अस्पताल के लावारिश लाशों को पुलिस सिम्स प्रबंधन को प्रैक्टिकल के लिए सौंप देती थी। लेकिन कुछ ऐसे मामले सामने आ गए कि पुलिस को लावारिश लाशों का पोस्मार्टम करना पड़ा। सिम्स प्रबंधन का कहना है पोस्टमार्टम वाले लाश किसी काम का नहीं रहता है।
फैकल्टी जांचने एमसीआई पहुंची
छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) को 100 सीटों की जगह 150 सीटों में एमबीबीएस के छात्रों को एडमिशन देने की मान्यात मेडिकल कौसिल ऑफ इंडिया ने दी है लेकिन इसके लिए सिम्स में संसाधन उपलब्ध है कि नहीं इसकी जांच के लिए एमसीआई के तीन सदस्य सिम्स पहुंचे थे। इन लोगों ने अस्पताल, मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया। वहीं टीम के सदस्यों ने सिम्स की ओर से संचालित दो प्राथमिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भी निरीक्षण किया गया।
एमबीबीएस के छात्रों को प्रैक्टिस के लिए मानव की देह नहीं मिल पा रहा है। इसकी कमी की जानकारी मिली थी। इस प्रबंधन ने अब तक क्या किया और मानव शरीर कैसे मिल सकता है इस पर समीक्षा बैठक में चर्चा किया जाएगा। छात्रों को मानव शरीर नहीं मिल पा रहा यह गंभीर समस्या है।
टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री, छग शासन
सिम्स के एमबीबीएस के छात्रों को प्रैक्टिस कराने के लिए शव की कमी है। एक शव के पीछे 10 छात्रों को पढ़ाया जाता है लेकिन शव की कमी होने के कारण एक शव के पीछे 60 छात्रों को प्रैक्टिस दी जा रही है। विभाग की ओर से कमी की जानकारी प्रबंधन को दे दी गई है।
शिक्षा जांगड़े, सहायक प्राध्यापक, एनाटॉमी विभाग सिम्स
ले गए 800 अवेदन, बॉडी मिली केवल तीन
बिलासपुर. सिम्स में देहदान करने की चाह रखने वालों की लंबी सूची है। एनाटॉमी विभाग के सह प्राध्यापक शिक्षा जांगड़े ने बताया कि देहदान के नाम पर सिम्स से 800 आवेदन फार्म लोग ले जा चुके हैं, लेकिन हमे बॉडी केवल तीन मिली है। हलांकि इसमें फॉलोअप के मामले में ये कहा जा रहा है कि हम किसी को किसी भी चीज के लिए फोर्स नहीं कर सकते हैं। जो आवेदन ले गए हैं उसमें से कुछ लोग परिवार सहित देहदान करने की घोषणा कर गए हैं। उन्होंने कहा दान करने वाले की मौत होने पर परिजन सूचना करते हैं नहीं करते तो हमे पता भी नहीं चल पाता है। सिम्स को 2003 से 2019 तक 119 बॉडी मिली है। इसमें से 28 बॉडी देहदान की है जबकि 91 बॉडी लावारिश थे। बताया गया कि पिछले कुछ दिनों से लावारिश बॉडी नहीं मिल पा रही है।
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