पत्र में साफ लिखा गया है कि कोयला आधारित लघु उद्योग बंद होने की कगार पर हैं, इन्हें बंद होने से एसईसीएल बचा ले। संघ ने पत्र में लिखा है कि कोयला आधारित एसएमई सेक्टर के उद्योगों को बचाने के लिए सार्थक पहल की जरूरत है। इसलिए हम अपनी परेशानी वाला ज्ञापन आपको सौंप रहे हैं।
संघ ने कहा है कि छत्तीसगढ़ शासन के उद्योग विभाग का सीएसआईडीसी राज्य के लघु उद्योगों को कोयले की सप्लाई के लिए स्टेट एजेंसी है। इसके ही माध्यम से एसईसीएल का कोयला उद्योगों में बंटता है। काफी दिनों से एसईसीएल द्वारा सीएसआईडीसी को कोयला नहीं दिया गया है। जबकि उन्होंने यानि एसईसीएल ने पैसा पहले ही जमा करवा लिया है। अब कोयले की कमी के कारण उद्योग प्रभावित हो रहे हैं।

विदित हो कि एसएमई सेक्टर को भारत सरकार, राज्य सरकार सहित सभी विभागों की ओर से प्रथमिकता वाला क्षेत्र घोषित किया गया है। इन हालात में उद्योग संघ की ओर से यह मांग की गई है कि मानते हैं कि पावर सेक्टर आपकी प्रथमिकता है लेकिन बहुत कम कोयला की आवश्यकता वाले लघु उद्योगों को भी कोयले की सप्लाई की जानी चाहिए।
अब गौर करने वाली बात यह है कि लघु उद्योगों को इस वर्ष एक लाख टन कोयला देने का एग्रीमेंट है। बकायदा अक्टूबर नवंबर माह के लगभग १६ हजार टन के लिए पैसा जनवरी के आसपास जमा भी करवा लिया गया है लेकिन कोयला नहीं दिया गया है। उद्योग विभाग का कहना है कि एसईसीएल को अपने टर्म कंडिशन पर पैसा पहले चाहिए लेकिन जब सप्लाई की बात आती है तो टालमटोल होता है। एक लाख टन देना है अभी तक आधा भी नहीं दे सके हैं। मार्च भी अब शुरू हो गया है, इसके बाद वित्तीय वर्ष खत्म हो जाएगा।
पिछली बार कोरोना के कारण एग्रीमेंट नहीं हुआ था। इस बार किया गया है, अक्टूबर नवंबर के लिए साढ़े सोलह हजार टन का पैसा साढ़े चार करोड़ जमा किया जा चुका है, दो बार पत्र भी लिखा गया है। कोयले की सप्लाई नहीं होने के कारण छोटे उद्योगों को परेशानी हो रही है।
एमएल कुशरे, सीएसआईडीसी
हमने एसईसीएल को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि छत्तीसगढ़ के कोयला उपभोक्ता लघु उद्योगों के प्रति सहानुभूति रखते हुए अविलंब सीएसआईडीसी को कोयला आबंटन का आदेश जारी किया जाए ताकि कोल संकट में फंसे लघु उद्योग इससे बाहर निकल सकें।
हरीश केडिया, प्रदेश अध्यक्ष, छग लघु एवं सहायक उद्योग संघ