बिलासपुर

82 करोड़ की जल आवर्धन योजना हो चुकी फेल, टंकियों को हैंडओवर लेने से बच रहा निगम

पीएचई ने नगर निगम पत्र लिखकर कहा, हैंडओवर लें टंकियां, कहा-संचालन संधारण के लिए न तो डीपीआर में कोई प्रावधान है न विभाग के पास फंड

बिलासपुरApr 17, 2018 / 06:52 pm

Amil Shrivas

बिलासपुर . 82 करोड़ की फेल जल आवर्धन योजना को लेकर दो विभागों के बीच खींचतान जारी है। टंकियों का निर्माण कराने वाले पीएचई के कार्यपालन अभियंता ने निगम आयुक्त को पत्र लिखकर कर 8 टंकियों को तय प्रावधान के तहत हैंडओव्हर लेकर अपने अधीन संचालित करने के लिए कहा है। इधर निगम प्रशासन इन टंकियों को अपने अधीन लेने से बच रहा है। शहर में आगामी 25 साल तक पेयजल की आवश्यकता को ध्यान में रखकर 11 साल पूर्व सन् 2006-07 में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के हाथों इस योजना का शिलान्यास कराया गया था। वर्ष 2008 में ठीक विधानसभा चुनाव के पहले योजना के तहत निर्मित टंकियों का पीजीबीटी कॉलेज मैदान में मुख्यमंत्री के हाथों लोकार्पण भी करा दिया गया। नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल ने दावा किया था कि 81.82 करोड़ की यह योजना आगामी 25 साल तक शहरवासियों के पेयजल की जरूरत की पूर्ति करेगी। तीन मंजिला मकानों में भी फोर्स के साथ पानी आएगा। योजना के क्रियान्वयन का कार्य पीएचई को सौंपा गया था। इंटरकनेक्शन करके पंप हाउसों को बंद करने का दावा किया भी किया। लेकिन तीन मंजिला भवन तो दूर, कई जगह धरातल तक भी पानी नहीं पहुंच पाया। 82 करोड़ की यह महत्वाकांक्षी योजना फेल हो गई। इसी के बाद अमृत मिशन के तहत खूंटाघाट जलाशय से पानी लाकर शहर की टंकियों को भरने 200 करोड़ की नई योजना तैयार की गई। अभी इसे पूरा होने में कई साल लग सकते हैं। इधर पीएचई निगम प्रशासन को पत्र भेजकर लगातार यह कोशिश कर रहा है कि जल आवर्धन योजना की टंकियों को निगम प्रशासन अपने अधीन ले ले। लेकिन निगम प्रशासन इसमें कई खामियां गिनाकर इसे हैंडओव्हर लेने से बच रहा है।
यहां बनी हैं टंकियां: व्यापार विहार, अशोक नगर, सीपत रोड पटवारी प्रशिक्षण केंद्र, हेमूनगर, दयालबंद टिकरापारा, शनिचरी बाजार, गणेश नगर और बिलासा कन्या कॉलेज मैदान।

ये कहा गया पत्र में: पीएचई के कार्यपालन अभियंता ने निगम आयुक्त को भेजे गए पत्र में कहा है कि इन पानी टंकियों के संचालन और संधारण के लिए डीपीआर में कोई प्रावधान नहीं है। पीएचई के पास इन टंकियों के संचालन के लिए फंड भी नहीं है। इसलिए इन टंकियों को हैंडओवहर लेने की कार्रवाई करें। वर्ष 2010 से 2015 के बीच सभी टंकियों का परीक्षण कराकर विभाग द्वारा जलआपूर्ति कराई जा रही है।
76 लाख भी ले लिया: टंकियों के निर्माण में खामियों के कारण निगम प्रशासन इन्हें अपने अधीन लेने से लगातार इनकार कर रहा है। इन टंकियों के संचालन के लिए पीएचई द्वारा फंड न होने की बात कहने पर निगम प्रशासन ने एमआईसी से प्रस्ताव पारित कराकर पीएचई को 76 लाख रुपए दिए थे।
जल आवर्धन की टंकियों के निर्माण में खामियों के कारण तत्कालीन अधीक्षण अभियंता ने इन्हें लेने से इनकार किया था। पीएचई ने निगम आयुक्त को पत्र भेजा है। जैसा निर्देश मिलेगा, निर्णय लेकर उचित कार्रवाई की जाएगी।
-राजकुमार मिश्रा, कार्यपालन अभियंता नगर निगम जलकार्य विभाग

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