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परीक्षा है कोई जंग नहीं, डरें न हों भयभीत, जो पढ़ा है उसका मन में रखें विस्वास

locationबिलासपुरPublished: Mar 07, 2020 08:30:16 pm

Submitted by:

Murari Soni

patrika master key: पत्रिका समूह के 65वें स्थापना दिवस और स्वर्णिम भार अभियान के तहत परीक्षा के इन दिनों में शिक्षा विभाग के अधिकारियों की सलाह

परीक्षा है कोई जंग नहीं, डरें न हों भयभीत, जो पढ़ा है उसका मन में रखें विस्वास

परीक्षा है कोई जंग नहीं, डरें न हों भयभीत, जो पढ़ा है उसका मन में रखें विस्वास

बिलासपुर. सीबीएसई और बोर्ड परीक्षाएं चल रहीं हैं। छात्रों की इस इम्तिहान की घड़ी में शिक्षा विभाग के अधिकारी व शिक्षकों ने छात्रो को मोटीवेट करते हुए कहा कि वे भयभीत न हों। पत्रिका समूह के 65वें स्थापना दिवस और स्वर्णिम भार अभियान के तहत शिक्षकों ने कहा कि ये कोई जंग या अंतिम अवसर नहीं है अपना वेस्ट दें। यदि असफल होते हैं तो इसे एक अवसर की तरह देखें। छात्र तनाव को हावी न होने दें, नियमित दिनचर्या, भरपूर नींद लें, स्वास्थ्य का भी ख्याल रखें। इन दिनों परिजन भी बच्चों के प्रति संवेदनशील रहें। इसके अलावा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने छात्रों को छोटे-छोटे टिप्स भी बताए जिससे छात्र परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।
चैलेंज को स्वीकारें और मनोवैज्ञानिक दुष्प्रेरण से मुक्त रहें
छात्र परीक्षा शांतिपूर्ण तरीके से दें, पहले ठीक से प्रश्न पढें फिर उसका उत्तर तैयार करें। किसी भी भय-दवाब में न आएं। यदि काई प्रश्न छूट भी जाता है तो मायूस न हों। देखा गया है कि कुछ छात्र एक पेपर बिगडऩे पर अगला पेपर छोड़ देते हैं, ये गलत है। बिगड़ा हुआ पेपर दोबारा दिया जा सकता है। मेरी अपील है कि छात्र जीवन के चैलेंज को स्वीकारें और मनोवैज्ञानिक दुष्प्रेरण से मुक्त रहें।
अशोक कुमार भार्गव
जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर

परीक्षा कक्ष में जाने से 15 से 30 मिनट पहले पढऩा छोड़ दें
परीक्षा के दिनों में छात्र अक्सर अपने मन का विस्वास खो देते हैं, ऐसे में आवश्यकता है कि बच्चों ने जो पढ़ा है उसका मन में विस्वास रखें। परीक्षा कक्ष में जाने से 15 से 30 मिनट पहले किताबें पढऩा छोड़ दें, ताकि कन्फ्यूजन की स्थिती न हो। ये भी ध्यान रखें कि वे अपने माता-पिता की बातों के दबाव में न आएं। पैरेंटï्स हैं तो पढ़ाई के लिए बार-बार कहेंगे ही इसलिए मां-बाप के भाव का भी ख्याल रखें, लेकिन तनाव न लें।
अनिल तिवारी
प्राचार्य

पैरेंट्स भी दिखाएं संवेदनशीलता
सालभर पढऩे वाले बच्चों को परीक्षा के दिनों में कठिनाईयां नहीं होती हैं, लेकिन फिर भी परीक्षा के समय का सद्उपयोग जरूरी है। बच्चे बहुत ज्यादा चिंतित न हों। पहले शांतिपूर्वक प्रश्न पढ़ें, नहीं बनता तो इस स्थिती से भागने की जरुरत नहीं है। पेपर बिगड़ता भी है तो शासन ने फिर से 3 पेपर देने का प्रावधान किया है। इस समय पैरेंट्स को भी संवेदनशीलता दिखाने की आवश्यकता रहती है ताकि बच्चे तनाव से दूर रहें।
आरके गौरहा
प्राचार्य

ऐन वक्त पर नए प्रश्न न पढ़े, करें रिवीजन
देखा जाता है कि बच्चे परीक्षा के समय रातभर नींद में भी पढ़ते रहते हैं उन्हें याद तो कुछ नहीं होता लेकिन नींद गवा देते हैं। इसलिए रात को जल्दी सो जाएं, सुबह जल्दी उठें, अन्य दिनों में भी पढ़ाई करें। परीक्षा के इन दिनों में परिजन बच्चों की सेहत का ध्यान रखें ताकि परीक्षा के समय तबियत खराब न हो। परीक्षा के एक दिन पूर्व छात्रों को नए प्रश्नों को नहीं पढऩा चाहिए जो पढ़ा है उसी का रिवीजन करें। दिनचर्या नियमित है तो तनाव से दूर रह सकते हैं।
आरके देवांगन
लेक्चरार

भयभीत न हों, ये अंतिम अवसर नहीं
छात्र निश्चिंत होकर परीक्षा हॉल में पहुंचें, सामने जो भी प्रश्न हों उसे अपनी क्षमता के अनुसार हल करें। जल्दबाजी में कॉपी पर हैंडराइटिंग न बिगाड़ें। उत्तर सटीक और समझने लायक हो। पेपर खराब हो गया तो घबराएं नहीं ये आपका अंतिम अवसर नहीं हैं। परीक्षा के दिनों में विषयबार जो गेप्स होते हैं उनमें रेगूलर पढ़ाई करें। किताबें रटने की बजाए आपके टीचर या आपने जो नोट्स तैयार किए हैं उससे रिवीजन करें।
आरडी गौरहा
एसीपी, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिलासपुर

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