परीक्षा कक्ष में जाने से 15 से 30 मिनट पहले पढऩा छोड़ दें
परीक्षा के दिनों में छात्र अक्सर अपने मन का विस्वास खो देते हैं, ऐसे में आवश्यकता है कि बच्चों ने जो पढ़ा है उसका मन में विस्वास रखें। परीक्षा कक्ष में जाने से 15 से 30 मिनट पहले किताबें पढऩा छोड़ दें, ताकि कन्फ्यूजन की स्थिती न हो। ये भी ध्यान रखें कि वे अपने माता-पिता की बातों के दबाव में न आएं। पैरेंटï्स हैं तो पढ़ाई के लिए बार-बार कहेंगे ही इसलिए मां-बाप के भाव का भी ख्याल रखें, लेकिन तनाव न लें।
अनिल तिवारी
प्राचार्य
पैरेंट्स भी दिखाएं संवेदनशीलता
सालभर पढऩे वाले बच्चों को परीक्षा के दिनों में कठिनाईयां नहीं होती हैं, लेकिन फिर भी परीक्षा के समय का सद्उपयोग जरूरी है। बच्चे बहुत ज्यादा चिंतित न हों। पहले शांतिपूर्वक प्रश्न पढ़ें, नहीं बनता तो इस स्थिती से भागने की जरुरत नहीं है। पेपर बिगड़ता भी है तो शासन ने फिर से 3 पेपर देने का प्रावधान किया है। इस समय पैरेंट्स को भी संवेदनशीलता दिखाने की आवश्यकता रहती है ताकि बच्चे तनाव से दूर रहें।
आरके गौरहा
प्राचार्य
ऐन वक्त पर नए प्रश्न न पढ़े, करें रिवीजन
देखा जाता है कि बच्चे परीक्षा के समय रातभर नींद में भी पढ़ते रहते हैं उन्हें याद तो कुछ नहीं होता लेकिन नींद गवा देते हैं। इसलिए रात को जल्दी सो जाएं, सुबह जल्दी उठें, अन्य दिनों में भी पढ़ाई करें। परीक्षा के इन दिनों में परिजन बच्चों की सेहत का ध्यान रखें ताकि परीक्षा के समय तबियत खराब न हो। परीक्षा के एक दिन पूर्व छात्रों को नए प्रश्नों को नहीं पढऩा चाहिए जो पढ़ा है उसी का रिवीजन करें। दिनचर्या नियमित है तो तनाव से दूर रह सकते हैं।
आरके देवांगन
लेक्चरार
भयभीत न हों, ये अंतिम अवसर नहीं
छात्र निश्चिंत होकर परीक्षा हॉल में पहुंचें, सामने जो भी प्रश्न हों उसे अपनी क्षमता के अनुसार हल करें। जल्दबाजी में कॉपी पर हैंडराइटिंग न बिगाड़ें। उत्तर सटीक और समझने लायक हो। पेपर खराब हो गया तो घबराएं नहीं ये आपका अंतिम अवसर नहीं हैं। परीक्षा के दिनों में विषयबार जो गेप्स होते हैं उनमें रेगूलर पढ़ाई करें। किताबें रटने की बजाए आपके टीचर या आपने जो नोट्स तैयार किए हैं उससे रिवीजन करें।
आरडी गौरहा
एसीपी, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिलासपुर