scriptपति की मौत के बाद 15 सालों से बेवा जमीन अपने नाम होने का कर रही इंतजार | After the death of her husband, Bewa land is waiting for 15 years to b | Patrika News

पति की मौत के बाद 15 सालों से बेवा जमीन अपने नाम होने का कर रही इंतजार

locationबिलासपुरPublished: Jun 02, 2022 12:43:23 am

Submitted by:

SUNIL PRASAD

पत्थलगांव में जमीन हेराफेरी का मामला आया सामने

jashpur News

खेत तो बचे, सामने की जमीनों पर बन गए आलीशान मकान और पेट्रोल पंप

पत्थलगांव. पति की मौत के बाद पिछले पंद्रह साल से आदिवासी विधवा महिला अपने हक की जमीन अपने नाम होने का इंतजार कर रही है। इस बीच मृतक की मौत का लाभ उठाकर जमीन दलालों ने विधवा के हिस्से की कई एकड़ जमीन फर्जी तरीके से बेच दी। विधवा महिला ने इस बात की शिकायत तहसीलदार से लेकर जिला कलेक्टर तक के पास की है, पर आदिवासी विधवा महिला को आज तक न्याय नहीं मिल पाया। जानकारी के अनुसार दरअसल यह पूरा मामला आदिवासी जमीन का है, जिसमे लंबे अर्से से दलालों की संलिप्ता रहने के कारण मिली-भगत का खेल चले आ रहा है। विधवा महिला सबिना लकड़ा पति झगनी राम चिडरापारा की रहने वाली है, उसने जमीन दलालों के अलावा तहसील के कर्मचारियों पर भी उसकी जमीन बेचने के गोरखधंधे में संलिप्ता रहने की शिकायत प्रस्तुत की है। दरअसल विधवा का पति झगनी राम की मौत लगभग पंद्रह वर्ष पहले हो चुकी है। पति की मौत के बाद उसके हक की भूमि स्वत: ही पत्नी के नाम दर्ज होनी थी, पर विधवा की अज्ञानता का लाभ उठाकर अन्य वारिशानो ने तहसील के कर्मचारी एवं जमीन दलालों से मिली भगत कर विधवा के मृतक पति झगनी राम का नाम ही भू दस्तावेजों से विलोपित करा दिया। इस बात का लाभ जमीन दलाल पिछले कई सालों से बखूबी उठाते रहे। जमीन दलालों की मिली भगत से विधवा के हक की बेशकीमती जमीन इस दौरान कई एकड़ में बेच दी गई। विधवा ने दो जमीन दलालों के अलावा तहसील कार्यालय के कर्मचारियों पर भी मिली भगत का आरोप लगाया है। अब महिला शिकायतों का पुलिंदा बनाकर मुख्यमंत्री के शहर आगमन के दौरान उनसे मिलकर अपनी आप बीती बताने की बात कह रही है। विधवा महिला का कहना है कि 15 सालों से भू दस्तावेजों में विलोपित पति का नाम के अलावा वह अपना नाम भी दर्ज कराने के लिए अनेक बार शिकायत कर चुकी है।
करोड़ों की है मालकिन, चलाती है रिक्शा : विधवा सबिना लकड़ा ने बताया कि पत्थलगांव चिडरापारा स्थित भू राजस्व के अभिलेखों में उनकी कुल भूमि खसरा नं 08. रकबा 3.089 हैक्टयर दर्ज है। आज वर्तमान के समय मे उक्त जमीन की कीमत करोड़ो रुपए में आंकी जा रही है, पर स्वयं की जमीन मे उसका नाम दर्ज नहीं हो पाने के कारण उसकी बेशकीमती जमीन अन्य व्यक्तियों द्वारा फर्जी तरीके से बेची जा रही है। वह अपनी जमीन की कीमत दूसरों के हाथ जाते देखने के बाद भी लाचार है। वर्तमान में उसकी माली हालत ठीक ना रहने के कारण वह नगर पंचायत में मामूली सा वेतन लेकर बतौर सफाई कर्मचारी के रूप में रिक्शा चलाने का काम कर रही है। उसका कहना था कि भू-अभिलेखों मे उसके पति का नाम फर्जी तरीके से विलोपित नहीं किया जाता तो आज वह अपनी बेशकीमती जमीन की स्वयं हकदार होती।
बेवा का पुत्र जेल से लिखता है पत्र : विधवा सबिना लकड़ा का पुत्र अपने हक की बेशकीमती जमीन धोखे से बेचने की जानकारी पाकर जेल से पुलिस एवं राजस्व को पत्र लिख रहा है, पर लाचार पुत्र की आज तक प्रशासन ने एक नहीं सुनी, अपने साथ हुई आप बीती की कहानी सुनाते हुए विधवा सबिना लकड़ा बताती है कि उसका पुत्र जितेन्द्र लकड़ा पिछले कुछ समय से जेल में सजा काट रहा है, उसके द्वारा जब भूमि दस्तावेजों में छेडख़ानी कर अपने पिता का नाम विलोपित होने एवं अपने हिस्से की जमीन भू माफिया एवं संबंधित शासकीय कर्मचारियों की मिली भगत से बेचे जाने की खबर सुनी तो वह पिछले लंबे समय से पुलिस एवं संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों के पास लगातार पत्र व्यवहार कर रहा है, परंतु उसके बाद भी आज तक विधवा या उसके लाचार पुत्र की किसी ने एक नहीं सुनी।
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